: केंद्र ने लिया वक्फ से 123 संपत्तियों को वापस लेने का फैसला, राष्ट्रपति भवन में भी मौजूद है संपत्ति।केंद्र सरकार ने दिल्ली में 123 वक्फ संपत्तियों को अपने कब्जे में लेने का फैसला किया है। ये संपत्तियां कनाट प्लेस, अशोक रोड, मथुरा रोड समेत राष्ट्रीय राजधानी के अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर है।
इनमें मस्जिद, दरगाह और कब्रिस्तान तक शामिल हैं। एक संपत्ति राष्ट्रपति भवन परिसर के भीतर भी मौजूद है।
जानें पूरा मामला
कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की सरकार ने लोकसभा चुनाव के ठीक पहले वर्ष 2014 में इन संपत्तियाें को दिल्ली वक्फ बोर्ड के नाम करने का फैसला किया था, जिसे लेकर यूपीए सरकार पर मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप लगा था। केंद्र सरकार को इस फैसले को ऐतिहासिक व राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय सरीखा बताते हुए कहा कि संभवत देश में यह पहला मामला है, जब सरकारी जमीन को कब्जा मुक्त कराने के लिए एक अराजनैतिक संगठन ने इतना लंबा संघर्ष किया हो। इस मामले को इंद्रप्रस्थ विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ही कोर्ट ले गई थी। विहिप के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने इस जीत पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि विहिप ने इसे लेकर करीब 40 साल तक संघर्ष किया है, जिसका सुखद परिणाम सामने आया है।
इन संपत्तियों को वापस लेने का फैसला केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मामलों के मंत्रालय ने किया है। मंत्रालय के भूमि एवं विकास कार्यालय ने बताया कि उच्च न्यायालय के आदेश पर केंद्र सरकार द्वारा गठित न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एसपी गर्ग की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय समिति गठित की गई थी, जिसके सामने गैर-अधिसूचित वक्फ संपत्तियों के मुद्दे पर दिल्ली वक्फ बोर्ड से कोई प्रतिनिधित्व या आपत्ति प्राप्त नहीं हुई थी, जबकि उसे दो मौके दिए गए थे, लेकिन उसकी ओर से कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई गई। ऐसे में इन संपत्तियों को वापस लेने का फैसला किया गया है और इसकी जानकारी वक्फ बोर्ड को पत्र लिखकर दे दी गई है। वैसे, अभी ये संपत्तियां मुस्लिम समुदाय के कब्जे में है। अब भूमि एवं विकास कार्यालय (एलएनडीओ) इन संपत्तियों का सर्वेक्षण कर आगे की प्रक्रिया शुरू करेगा।
हालांकि, दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अमानतउल्ला खान ने इस तरह की नोटिस से इंकार करते हुए मंत्रालय पर गुमराह करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि पहले से ही यह मामला हाई कोर्ट में लंबित है, जिसका नंबर 1961/2022 है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वह केंद्र सरकार को इन वक्फ संपत्तियों का किसी तरह का कब्जा नहीं होने देंगे।
वर्ष 1984 से चल रहा था मामला
यह मामला वर्ष 1984 से लंबित है। तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने इन संपत्तियों को वक्फ बोर्ड को सौंपने का फैसला लिया था। तब भी इंद्रप्रस्थ विहिप इस मामले को लेकर काेर्ट में गई थी। तब हाई कोर्ट ने उस फैसले को पलट दिया था, लेकिन वर्ष 2014 में एक बार तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने लोकसभा चुनाव की घोषणा के कुछ घंटे पहले ही इन संपत्तियों को वक्फ बोर्ड को सौंपने का आदेश दिया, जिसे चुनाव आयोग ने आचार संहिता का उल्लंघन माना और उस आदेश को खारिज कर दिया था। विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने बताया कि इन संपत्तियों पर मुस्लिम समुदाय का कब्जा पहले से था। इसलिए हाई कोर्ट में इस मामले को लेकर वे लोग गए थे।
By जागरण
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