सुगंधित फूलों की खेती से फैली खुशियों की मुस्कान

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सुगंधित फूलों का नाम आते ही खुशबू का अहसास होने लगता है, लेकिन जब इन्हीं फूलों की खेती से कमाई के साथ स्वरोजगार मिलने लगे तो चेहरे पर खुशियों की मुस्कान बरबस ही आ जाती है। सुगंधित फूलों की खेती करके इसे साबित किया है, चंबा जिले के विकासखंड तीसा की ग्राम पंचायत सेईकोठी के प्रगतिशील किसान लोभी राम और ग्राम पंचायत हरतवास के उन्नत किसान यशवंत सिंह ने। सुगंधित फूलों की खेती में इन दोनों किसानों ने अपनी अलग ही पहचान बनाई है।
अरोमा मिशन के अंतर्गत जिला प्रशासन के सहयोग से आईएचबीटी पालमपुर द्वारा लैवंडर पौधे वितरित किए गए। क्षेत्र में लैवेंडर की खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि किसान अपनी आमदनी को बढ़ा सकें और स्वरोजगार की ओर बढ़ सकें।
ग्राम पंचायत सेईकोठी के प्रगतिशील किसान लोभी राम कहते हैं कि वे सुगंधित पौधों की खेती लगभग 22 साल से करते आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले 5 सालों से लैवंडर की खेती करने में रुचि दिखा रहे हैं, जितना लाभ मुझे लैवेंडर की खेती करने से हुआ है उतना अन्य सुगंधित पौधों की खेती से नहीं हुआ।
उन्होंने कहा कि लैवेंडर की खेती ऐसी है कि जिसके पौधे को ना ही जंगली जानवर, बंदर इत्यादि खराब करते है और ना ही किसी भी प्रकार की खाद की जरूरत पड़ती है ।
उन्होंने कहा कि लैवंडर के फूल, तेल, नर्सरी के साथ-साथ लेवेंडर के पत्ते भी आमदनी का साधन है,इस खेती से काफी लाभ प्राप्त किया है।
लैवेंडर की खेती को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने और लोगों को भी प्रोत्साहित किया है। उन्होंने जम्मू और कश्मीर में भी इस खेती को प्रोत्साहित करने के लिए वहां के लोगों का सहयोग किया है।
लोभी राम कहते हैं कि लैवेंडर की खेती के साथ उन्होंने गुलाब के पौधों की इंटर क्रॉपिंग भी की है। उन्होंने कहा कि गुलाब तेल की भी बाजार में काफी मांग है और जिसकी कीमत लगभग 20 से 30 लाख रुपए प्रति किलोग्राम है। इसके साथ साथ गुलाब के पौधे और उनकी कलमें भी अच्छी कीमत पर बिकती है।
उन्होंने कहा कि उद्यान विभाग के साथ-साथ अरोमा मिशन के अंतर्गत हमें लैवेंडर की खेती को बढ़ावा देने के लिए मदद मिल रही है। मिशन के अंतर्गत पौधे उपलब्ध कराए जा रहे हैं। जिससे किसानों को अधिक लाभ मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि किसान अधिक से अधिक इस खेती से जुड़ते हैं तो वह अच्छा लाभ कमा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि मैंने ऑयल डिस्टलेशन यूनिट भी स्थापित किया है, जहां पर वह खुद ही तेल निकालते हैं। लैवेंडर के तेल की कीमत 15 से 20 हजार रुपये प्रति किलोग्राम है।
उन्होंने कहा कि 4 हेक्टेयर भूमि पर सुगंधित पौधों की खेती कर रहे हैं। इस कार्य में चुराह के ही लगभग 40 किसान हमारे साथ जुड़े हैं। उन्होंने यह भी कहा कि किन्नौर में भी लैवेंडर के पौधे लगाए गए हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि पिछले साल मैंने तेल बेचकर लगभग 26 लाख की आमदनी अर्जित की है । इसके अतिरिक्त कुठ की खेती भी कर रहे हैं जिसके तेल की कीमत लगभग 2 लाख रुपए पर किलोग्राम है और उन्होंने लगभग 400 बीघा में हर्बल की खेती की है।
उन्होंने बताया कि सुगंधित पौधों की खेती से वे सालाना करोड़ों रुपए का कारोबार कर रहे हैं।
इसके साथ ही ग्राम पंचायत हरतवास के यशवंत सिंह कहते हैं कि वे 2006 से लैवेंडर की खेती कर रहे हैं । उन्होंने कहा कि प्रगतिशील किसान लोभी राम के साथ मिलकर पिछले 3 सालों में 25 से 30 हजार पौधों को तैयार किया है। उन्हें इस खेती से काफी लाभ हो रहा और वे इस काम को बड़ी ही लगन और मेहनत से कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि लैवेंडर के पौधे का कोई भाग व्यर्थ नहीं जाता है और वह साल में लैवेंडर की खेती की तीन फसलें निकाल लेते हैं। जून माह में लैवेंडर की भरपूर फसल होती है अक्टूबर माह और फरवरी माह में भी फसल निकलती है।
लैवंडर के एक क्विंटल पौधों से लगभग एक से डेढ़ किलोग्राम तेल निकलता है। जिसकी कीमत लगभग 15 से 20 हजार रुपए मिल जाती है और घर द्वार पर ही तेल की बिक्री हो जाती है। जिससे हमें काफी लाभ प्राप्त हो रहा है।
उद्यान विभाग के फैसिलिटेटर राहुल राठौर बताते हैं कि अरोमा मिशन के तहत विकासखंड तीसा में प्रगतिशील किसान लोभी राम लैवेंडर की खेती से काफी मुनाफा कमा रहे हैं। इसके साथ साथ अन्य किसानों को भी इस खेती के प्रति अपनी रूचि दिखाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
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