प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली के प्रगति मैदान में अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी-सह-सम्मेलन केंद्र (आईईसीसी) परिसर का उद्घाटन किया

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली के प्रगति मैदान में अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी-सह-सम्मेलन केंद्र (आईईसीसी) परिसर का उद्घाटन किया। उन्होंने जी-20 सिक्के और जी-20 टिकट का भी अनावरण किया। प्रधानमंत्री ने ड्रोन के माध्यम से आयोजित कन्वेंशन सेंटर के नामकरण समारोह और इस अवसर पर प्रदर्शित एक सांस्कृतिक कार्यक्रम को भी देखा। प्रधानमंत्री द्वारा परिकल्पित और करीब 2,700 करोड़ रुपये की लागत से एक राष्ट्रीय परियोजना के तौर पर प्रगति मैदान में विकसित नया आईईसीसी परिसर भारत को एक प्रमुख वैश्विक व्यापार गंतव्य के तौर पर स्‍थापित करने में मदद करेगा।

प्रधानमंत्री ने सभा को संबोधित करते हुए देश के नए उत्साह और मनोदशा को बताने वाली एक कविता के साथ अपने भाषण की शुरुआत की। उन्होंने कहा, ‘भारत मंडपम भारत के सामर्थ्य और देश की नई ऊर्जा का आह्वान है। यह भारत की भव्यता और इच्छाशक्ति का दर्शन है।’

प्रधानमंत्री ने आज सुबह श्रमिकों को सम्मानित किए जाने को याद करते हुए कहा कि उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण को देखकर पूरा देश प्रभावित है। उन्होंने भारत मंडपम के लिए दिल्लीवासियों के साथ-साथ हर भारतीय को बधाई दी। कारगिल विजय दिवस के ऐतिहासिक अवसर को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री ने पूरे देश की ओर से कारगिल युद्ध के दौरान भारत के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

प्रधानमंत्री ने विस्तार से बताया कि ‘भारत मंडपम’ नाम के पीछे की प्रेरणा भगवान बशवेश्वर का ‘अनुभव मंडपम’ है। उन्होंने कहा कि अनुभव मंडपम परिचर्चा एवं अभिव्यक्ति की परंपरा का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने याद दिलाया कि भारत को लोकतंत्र की जननी के रूप में स्वीकार किया जाता है। उन्होंने इस संबंध में कई ऐतिहासिक और पुरातात्विक उदाहरणों का उल्लेख दिया। उन्होंने कहा, ‘यह भारत मंडपम हम भारतीयों द्वारा हमारे लोकतंत्र के लिए एक सुंदर उपहार है क्योंकि हम आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि जब कुछ ही हफ्तों में यहां जी-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन होगा तो पूरी दुनिया भारत के बढ़ते हुए कदम और भारत का बढ़ता हुआ कद देखेगी।

दिल्ली में एक विश्वस्तरीय कन्वेंशन सेंटर की आवश्यकता के बारे में विस्तार से बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ’21वीं सदी के भारत में हमें 21वीं सदी की आवश्यकताओं को पूरा करने वाला निर्माण करना ही होगा।’ प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि भारत मंडपम दुनिया भर के प्रदर्शकों की मदद करेगा और और भारत में कॉन्फ्रेंस पर्यटन का एक माध्यम बनेगा। उन्होंने आगे कहा कि भारत मंडपम देश के स्टार्टअप की क्षमताओं को प्रदर्शित करने के लिए एक प्‍लेटफॉर्म के रूप में काम करेगा। साथ ही यह कलाकारों एवं अभिनेताओं के प्रदर्शन का गवाह बनेगा और हस्तशिल्प कारीगरों के प्रयासों को प्रदर्शित करने के लिए एक प्‍लेटफॉर्म प्रदान करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारत मंडपम आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल अभियान का प्रतिबिंब बनेगा।’ उन्होंने कहा कि यह कन्वेंशन सेंटर अर्थव्यवस्था से लेकर पारिस्थितिकी और व्यापार से लेकर प्रौद्योगिकी तक हर क्षेत्र के लिए एक मंच के रूप में उभरेगा।

प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत मंडपम जैसे बुनियादी ढांचे का विकास दशकों पहले हो जाना चाहिए था। उन्होंने निहित स्वार्थों के कारण विरोध के बावजूद बुनियादी ढांचे का निर्माण जारी रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि कोई भी समाज खंडित तरीके से काम करते हुए प्रगति नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि भारत मंडपम दूरदर्शी समग्र कार्यशैली का उदाहरण है। उन्होंने 160 से अधिक देशों के लिए ई-कॉन्फ्रेंस वीजा सुविधा जैसे कदमों की जानकारी देकर इसे समझाया। दिल्ली हवाई अड्डे की क्षमता 2014 में सालाना 5 करोड़ से बढ़कर आज 7.5 करोड़ हो चुकी है। जेवर हवाई अड्डे के चालू होने के बाद यह आंकड़ा कहीं बेहतर होगा। दिल्ली एनसीआर में आतिथ्य सेवा उद्योग का भी काफी विस्तार हुआ। उन्होंने कहा कि इससे सम्मेलन पर्यटन के लिए एक संपूर्ण परिवेश तैयार करने के दृष्टिकोण का संकेत मिलता है।

पिछले कुछ वर्षों के दौरान राजधानी नई दिल्ली में बुनियादी ढांचे के विकास को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने हाल में उद्घाटन किए गए नए संसद भवन का उल्लेख किया। उन्‍होंने कहा कि यह हर भारतीय को गौरवान्वित करता है। उन्होंने नेशनल वार मेमोरियल, पुलिस मेमोरियल और बाबा साहेब अम्बेडकर मेमोरियल जैसे स्मारकों का भी उदाहरण दिया। प्रधानमंत्री ने दोहराया कि कर्तव्य पथ के आसपास कार्यालय भवनों का विकास कार्य पूरे जोरों पर है क्योंकि सरकार कार्य संस्कृति के साथ-साथ कार्य परिवेश को भी बदलने पर जोर दे रही है। उन्होंने प्रधानमंत्री संग्रहालय का भी उल्‍लेख किया जो भारत के अब तक के सभी प्रधानमंत्रियों के जीवन की एक झलक प्रस्‍तुत करता है। उन्होंने बताया कि नई दिल्ली में विश्व के सबसे बड़े संग्रहालय ‘युगे युगीन भारत’ का विकास तेजी से किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने जोर देते हुए कहा कि विकसित होने के लिए हमें बड़ा सोचना होगा और बड़े लक्ष्य हासिल करने होंगे। उन्‍होंने कहा, ‘इसलिए भारत बड़ा सोचो, बड़े सपने देखो, बड़े कार्य करो’ के सिद्धांत के साथ आगे बढ़ रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘हम बड़ा, बेहतर और तेजी से निर्माण कर रहे हैं।’ उन्होंने भारत में दुनिया के सबसे बड़े सोलर-विंड पार्क, सबसे ऊंचे रेल पुल, सबसे लंबी सुरंग, वाहनों के के लिए सबसे ऊंची सड़क, सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम, दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति और एशिया के दूसरे सबसे बड़े रेल पुल के बारे में बात की। उन्होंने ग्रीन हाइड्रोजन में हुई प्रगति का भी उल्लेख किया।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आज हमारी सरकार के मौजूदा कार्यकाल और पिछले कार्यकाल के विकास कार्यों का पूरा देश गवाह है।’ उन्होंने आश्‍वस्‍त किया कि भारत की विकास यात्रा अब रुकने वाली नहीं है। श्री मोदी ने रेखांकित किया कि जब वर्तमान सरकार 2014 में सत्ता में आई थी तब भारत दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था, मगर आज भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। प्रधानमंत्री ने आश्‍वस्‍त किया कि तीसरे कार्यकाल में भारत का नाम दुनिया की शीर्ष 3 अर्थव्यवस्थाओं में होगा। उन्होंने जोर देकर कहा, ‘यह मोदी की गारंटी है।’ प्रधानमंत्री ने नागरिकों को यह भी आश्‍वस्‍त किया कि तीसरे कार्यकाल में भारत की विकास यात्रा की गति कई गुना बढ़ जाएगी और नागरिक अपने सपनों को साकार होते देखेंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत में नवर्निर्माण की क्रांति चल रही है क्योंकि पिछले 9 वर्षों में बुनियादी ढांचे के निर्माण पर 34 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए। उन्होंने बताया कि इस साल के लिए भी पूंजीगत व्यय 10 लाख करोड़ रुपये रखा गया है। भारत अभूतपूर्व गति और पैमाने पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले 9 वर्षों में 40 हजार किलोमीटर रेलवे लाइनों का विद्युतीकरण हुआ, जबकि उससे पहले के 7 दशकों में महज 20 हजार किलोमीटर का विद्युतीकरण हुआ था। साल 2014 से पहले हर महीने 600 मीटर मेट्रो लाइन बिछाई जाती थी, मगर आज हर महीने 6 किलोमीटर लंबी मेट्रो लाइन बिछाई जा रही है। आज, देश में 7.25 लाख किलोमीटर लंबी ग्रामीण सड़कें हैं, जो 2014 में केवल 4 लाख किलोमीटर थीं। हवाई अड्डों की संख्या करीब 70 से बढ़कर लगभग 150 हो गई है। शहरी गैस वितरण का दायरा भी 2014 में केवल 60 शहरों के मुकाबले अब 600 शहरों तक बढ़ चुका है।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘नया भारत आगे बढ़ रहा है और रास्ते में आने वाली सभी बाधाओं को पार कर रहा है।’ उन्होंने बताया कि सरकार समस्याओं का स्थायी समाधान तलाशने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। सामाजिक बुनियादी ढांचे के लिए गेम-चेंजर साबित होने वाले पीएम गतिशक्ति मास्टरप्लान का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसमें डेटा की 1,600 से अधिक परतें शामिल हैं और इसका उद्देश्य देश का समय और पैसा बचाना है।

प्रधानमंत्री ने 1930 के दशक की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि पिछली शताब्दी का तीसरा दशक भारत के स्‍वाधीनता संग्राम के लिए काफी महत्वपूर्ण रहा जहां लक्ष्य स्वराज था। प्रधानमंत्री ने कहा कि उसी प्रकार इस सदी का तीसरा दशक भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारा लक्ष्य एक विकसित भारत है। प्रधानमंत्री ने दोहराया कि स्वराज आंदोलन का ही परिणाम था कि भारत आजाद हो गया। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘अब इस तीसरे दशक में, हमारा लक्ष्‍य अगले 25 वर्षों में ‘विकसित भारत’ का है।’ उन्होंने हरेक स्वतंत्रता सेनानी के सपनों को साकार करने के लिए नागरिकों को प्रेरित किया। प्रधानमंत्री ने अपने अनुभव के आधार पर बताते हुए कहा कि उन्होंने अपने सामने कई उपलब्धियां देखी हैं और वह देश की ताकत से भलीभांति अवगत हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारत एक विकसित देश बन सकता है। भारत गरीबी उन्‍मूलन कर सकता है।’ प्रधानमंत्री ने नीति आयोग की एक रिपोर्ट का उल्लेख देते हुए बताया कि भारत में महज 5 साल के दौरान 13.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकल चुके हैं। उन्होंने यह भी दोहराया कि भारत में अत्यधिक गरीबी खत्‍म हो रही है और इसका उल्‍लेख अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने भी किया है। उन्‍होंने कहा‍ कि इसका श्रेय पिछले 9 वर्षों के दौरान सरकार द्वारा बनाई गई नीतियों और लिए गए निर्णयों को जाता है।

प्रधानमंत्री ने साफ नियत और सही नीतियों की जरूरत पर जोर देते हुए जी-20 का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा,  ‘हमने जी-20 को महज किसी एक शहर या एक ही जगह तक सीमित नहीं रखा। हम जी-20 की बैठकों को देश के 50 से अधिक शहरों में ले गए। हमने इसके जरिये भारत की विविधता को प्रदर्शित किया है। हमने दुनिया को दिखाया कि भारत की सांस्कृतिक शक्ति क्या है, भारत की विरासत क्या है।’ जी20 के अध्‍यक्ष के तौर-तरीके के बारे में विस्तार से बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘जी-20 बैठकों के लिए कई शहरों में नई सुविधाओं का निर्माण किया गया और पुरानी सुविधाओं का आधुनिकीकरण किया गया। इससे देश और देशवासियों का फायदा हुआ। यही तो सुशासन है। हम नेशन फर्स्ट, सिटीजन फर्स्ट की भावना पर चलते हुए ही भारत को विकसित भारत बनाने वाले हैं।’

इस अवसर पर केंद्रीय व्यापार एवं वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल के अलावा कई अन्य केंद्रीय मंत्री और उद्योग जगत के जानेमाने विशेषज्ञ भी उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

देश में बैठकों, सम्मेलनों और प्रदर्शनियों के आयोजन के लिए एक विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण ने प्रगति मैदान में अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी-सह-सम्मेलन केंद्र (आईईसीसी) की संकल्पना को जन्म दिया। इस परियोजना के तहत प्रगति मैदान में पुरानी और जर्जर हो चुकी सुविधाओं का नवीनीकरण किया गया है और उन्‍हें करीब 2,700 करोड़ रुपये की लागत से एक राष्ट्रीय परियोजना के तौर पर विकसित किया गया है। लगभग 123 एकड़ के परिसर क्षेत्र के साथ आईईसीसी कॉम्‍प्‍लेक्‍स को भारत के सबसे बड़े एमआईसीई (बैठकें, प्रोत्साहन, सम्मेलन एवं प्रदर्शनी) गंतव्य के रूप में विकसित किया गया है। आयोजनों के लिए उपलब्ध कवर एरिया के लिहाज से आईईसीसी कॉम्‍प्‍लेक्‍स दुनिया के शीर्ष प्रदर्शनी एवं सम्मेलन परिसरों में अपनी जगह बनाता है। प्रगति मैदान में नव विकसित आईईसीसी कॉम्प्लेक्स में कन्वेंशन सेंटर, एग्जिविशन हॉल और एम्फीथिएटर आदि तमाम अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं।

कन्वेंशन सेंटर को प्रगति मैदान परिसर के केंद्रबिंदु के रूप में विकसित किया गया है। यह वास्तुशिल्प के लिहाज से काफी भव्‍य है। इसे बड़े पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों, व्यापार मेलों, सम्मेलनों और अन्य प्रतिष्ठित कार्यक्रमों के आयोजन के लिहाज से डिजाइन किया गया है। यह कई बैठक कक्ष, लाउंज, सभागार, एक एम्फीथिएटर एवं एक व्यापार केंद्र से सुसज्जित है जो इसे विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन करने में समर्थ बनाता है। इसके भव्य बहुउद्देश्यीय हॉल और प्लेनरी हॉल की संयुक्त क्षमता सात हजार लोगों की है जो ऑस्ट्रेलिया के प्रसिद्ध सिडनी ओपेरा हाउस की बैठने की क्षमता से भी बड़ी है। इसका शानदार एम्फीथिएटर 3,000 लोगों के लिए बैठने की क्षमता से सुसज्जित है।

कन्वेंशन सेंटर भवन का वास्तुशिल्प डिजाइन भारतीय परंपराओं से प्रेरित है। उसमें आधुनिक सुविधाओं एवं आधुनिक जीवन शैली को अपनाने के साथ-साथ अतीत में भारत के आत्मविश्वास एवं दृढ़ विश्वास की झलक भी मिलती है। उस भवन का आकार शंख जैसा है। कन्वेंशन सेंटर की विभिन्न दीवारें एवं अग्रभाग भारत की पारंपरिक कला एवं संस्कृति के विभिन्‍न तत्वों को दर्शाते हैं, जिनमें ‘सूर्य शक्ति’ सौर ऊर्जा के दोहन में भारत के प्रयासों को उजागर करता है। इसी प्रकार ‘जीरो टू इसरो’ अंतरिक्ष में हमारी उपलब्धियों का जश्न मनाता है जबकि पंच महाभूत सार्वभौमिक नींव के निर्माण खंडों- आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी आदि को दर्शाता है। इसके अलावा, देश के विभिन्न क्षेत्रों की पेंटिंग एवं जनजातीय कला रूप इस कन्वेंशन सेंटर की शोभा बढ़ाते हैं।

कन्वेंशन सेंटर में मौजूद अन्य सुविधाओं में पूरी तरह 5जी समर्थ वाई-फाई से लैस परिसर, 10जी इंट्रानेट कनेक्टिविटी, 16 विभिन्न भाषाओं की सुविधा के साथ अत्याधुनिक तकनीक से लैस दुभाषिया कक्ष, विशाल वीडियो वॉल के साथ उन्नत एवी सिस्टम, अधिकतम कार्यक्षमता एवं ऊर्जा दक्षता सुनिश्चित करने वाली भवन प्रबंधन प्रणाली, डिमिंग एवं ऑक्‍यूपेंसी सेंसर के साथ लाइटिंग व्‍यवस्‍था, अत्याधुनिक डीसीएन (डेटा संचार नेटवर्क) प्रणाली, एकीकृत निगरानी प्रणाली और ऊर्जा-कुशल केंद्रीकृत एयर कंडीशनिंग प्रणाली शामिल हैं।

इसके अलावा, आईईसीसी कॉम्प्लेक्स में सात प्रदर्शनी हॉल हैं। इनमें से हरेक हॉल प्रदर्शनियों, व्यापार मेलों और व्यावसायिक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए पर्याप्‍त जगह उपलब्‍ध कराता है। प्रदर्शनी हॉल को विभिन्न प्रकार के उद्योगों और दुनिया भर के उत्पादों एवं सेवाओं को प्रदर्शित करने के लिहाज से डिजाइन किया गया है। ये अत्याधुनिक ढांचे आधुनिक इंजीनियरिंग एवं वास्तुशिल्प कौशल के प्रमाण हैं।

आईईसीसी के बाहरी क्षेत्र का विकास भी सोच-समझकर किया गया है जो मुख्य परिसर की सुंदरता को बढ़ाता है। साथ ही यह सावधानीपूर्वक तैयार की गई योजना और विकास का प्रमाण भी है। यहां स्‍थापित की गई मूर्तियां एवं भित्ति चित्र भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करते हैं। संगीतमय फव्वारे आकर्षण और रोमांच पैदा करते हैं। तालाब, झील एवं कृत्रिम जलधाराएं आदि इस क्षेत्र  का सौंदर्य को बढ़ाती हैं।

आईईसीसी में आगंतुकों की सुविधा को प्राथमिकता दी गई है। वहां 5,500 से अधिक वाहनों के लिए पार्किंग की जगह उपलब्‍ध है। सिग्नल-मुक्त सड़कों के जरिये वहां तक आसान पहुंच सुनिश्चित होती है ताकि आगंतुक बिना किसी परेशानी के कार्यक्रम स्थल तक पहुंच सकें। साथ ही, समग्र डिजाइन में उपस्थित लोगों की सहुलियत एवं सुविधा को प्राथमिकता दी गई है ताकि आईईसीसी कॉम्‍प्‍लेक्‍स के भीतर निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित हो सके।

प्रगति मैदान में नए आईईसीसी कॉम्प्लेक्स के विकास से भारत को एक प्रमुख वैश्विक व्यापार गंतव्य बनाने में मदद मिलेगी। साथ ही यह व्यापार एवं वाणिज्य को बढ़ावा देने, आर्थिक विकास और रोजगार सृजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह लघु एवं मझौले उद्यमों को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्‍तर पर अपने उत्पादों और सेवाओं को प्रदर्शित करने के लिए एक प्‍लेटफॉर्म प्रदान करेगा जिससे उनकी वृद्धि को रफ्तार मिलेगी। यह ज्ञान के आदान-प्रदान की सुविधा भी प्रदान करेगा और सर्वोत्तम प्रथाओं, तकनीकी प्रगति एवं उद्योग के रुझानों को प्रसारित करेगा। प्रगति मैदान में आईईसीसी आत्मनिर्भर भारत की भावना में निहित भारत की आर्थिक एवं तकनीकी उत्कृष्टता की खोज का प्रतीक है। साथ ही यह एक नए भारत के निर्माण की दिशा में उठाया गया एक कदम है।

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