मंडी 23 सितम्बर। उप निदेशक पशु स्वास्थ्य एवं प्रजनन डॉ संजीव नड्डा ने बताया लम्पी बीमारी से पशु धन को बचाने के लिए पशुपालन विभाग पूरी सजगता के साथ कार्य कर रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा लंपी बीमारी के बचाव के लिए रोग प्रतिरोधक टीका कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है। इसमें चार महीने से ऊपर के पशुओं को वैक्सीन लगाई जाती है। जिला में अब तक 22000 पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है। पिछले वर्ष एक लाख 48 हजार पशुओं का टीकाकरण किया गया था। जहां पर भी यह रोग फैलता है विभाग के चिकित्सक वहां जाकर पशुपालकों को इस रोग के प्रति जागरूक करते हैं और निशुल्क दवाइयां उपलब्ध करवाते हैं। विभाग के पास इस समय 8000 वैक्सीन के डोज मौजूद हैं।
उन्होंने पशुपालकों को रोग के प्रति सावधान करते हुए बताया कि लम्पी से संक्रमित पशुओं को बाकी पशुओं से अलग रखना चाहिए। मच्छर और मक्खी की रोकथाम का उचित प्रबंध करना चाहिए। लंपी वायरस से पीड़ित पशु को वैक्सीन लगवाने के साथ-साथ स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष लंपी बीमारी से हिमाचल भी काफी हद तक प्रभावित हुआ था।
लम्पी बीमारी के बारे में बताते हुए उप निदेशक ने बताया कि गर्मी और बरसात में जब मक्खी, मच्छर और पिस्सू की संख्या बढ़ जाती है, तब इनके काटने से ज्यादातर गोवंश में लम्पी बीमारी देखने को आती है। इस बीमारी में पशुओं के शरीर में गांठें पड़ जाती हैं। तेज बुखार आता है। दूध उत्पादन कम हो जाता है। पशु की भूख कम हो जाती है। इस रोग का कोई प्रभावी उपाय नहीं है। इस बीमारी से पशु तभी लड़ सकता है जब उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता हो। उचित देखभाल न किए जाने पर पशु की मौत भी हो जाती है।
उन्होंने बताया कि लंपी वायरस का पशु में पांच से सात दिन तक असर रहता है। पीड़ित पशु का उचित उपचार होने से पशु एक सप्ताह में ठीक हो जाता है। लंपी वायरस से पीड़ित पशु का टीकाकरण करवाने के साथ-साथ चिकित्सक द्वारा दिए गए जरूरी दिशा निर्देशों की पालना करनी होगी।
उपायुक्त अरिंदम चौधरी ने कहा कि किसानों के लिए पशुधन बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह उनकी आर्थिक संबल हैं। इन्हें बचाने और पशुपालकों की समस्याओं का निराकरण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के निर्देश पर किसानों, बागवानों और पशुपालकों की आर्थिकी की मजबूती के लिए योजनाओं का प्रभावी ढंग से क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा रहा है।
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