कांग्रेस के आज तक रहे अध्यक्षों का ब्यौरा। आजादी से वर्तमान तक।इस बार हो सकता है गांधी परिवार के बाहर का अध्यक्ष।

Read Time:7 Minute, 36 Second

अब यह लगभग तय नजर आ रहा है कि अगला कांग्रेस अध्यक्ष गांधी परिवार से बाहर का होगा और यह भी 24 साल बाद होगा कि देश के इस प्रमुख राजनीतिक परिवार से इतर कोई व्यक्ति कांग्रेस की कमान संभालेगा. गांधी परिवार से बाहर के आखिरी अध्यक्ष सीताराम केसरी (Sitaram Kesari) थे जिनके बाद सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने पार्टी का शीर्ष पद का संभाला था. इस बार राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और लोकसभा सदस्य शशि थरूर (Shashi Tharoor) के बीच चुनावी मुकाबले के आसार हैं. चुनाव होने पर इस बार 9000 से अधिक डेलीगेट (निर्वाचक मंडल के सदस्य) मतदान करेंगे. ये है 137 सालों का इतिहास कांग्रेस के 137 साल के इतिहास पर नजर डालें तो पता चलता है कि ज्यादातर समय अध्यक्ष का चुनाव सर्वसम्मति से हुआ यानी दो या इससे अधिक उम्मीदवारों के बीच चुनावी मुकाबले की स्थिति पैदा नहीं हुई. आजादी से पहले का 1939 का कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव इस मायने में याद किया जाता है कि इसमें महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) समर्थित उम्मीदवार पट्टाभि सीतारमैया को नेताजी सुभाष चंद्र बोस से हार का सामना करना पड़ा था. इस चुनाव में सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) को 1,580 वोट मिले थे तो वहीं सीतारमैया को 1,377 ही वोट हासिल हुए थे. 1950 में हुआ पहला चुनाव बरहाल, आजादी के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद का पहला चुनाव 1950 में हुआ. आचार्य कृपलानी और पुरुषोत्तम दास टंडन के बीच चुनावी मुकाबला हुआ. इसमें टंडन विजयी हुए. टंडन को 1,306 वोट मिले तो कृपलानी को 1,092 वोट हासिल हुए. बाद में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू (Jawahar Lal Nehru) के साथ मतभेदों की वजह से टंडन ने इस्तीफा दे दिया. फिर नेहरू ने पार्टी की कमान संभाली. उन्होंने 1951 और 1955 के बीच पार्टी प्रमुख और प्रधानमंत्री के रूप में काम किया. नेहरू ने 1955 में कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ दिया और यूएन धेबर कांग्रेस अध्यक्ष बने. फिर 47 साल तक नहीं हुआ कोई चुनाव वर्ष 1950 के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए 47 साल तक चुनावी मुकाबला नहीं हुआ. 1997 में पहली बार त्रिकोणीय चुनावी मुकाबला हुआ. सीताराम केसरी, शरद पवार और राजेश पायलट ने चुनाव लड़ा और इसमें केसरी विजेता बने. केसरी को 6,224 वोट मिले तो पवार को 882 और पायलट को 354 वोट हासिल हुए थे. इस चुनाव के एक साल बाद ही कांग्रेस कार्य समिति ने एक प्रस्ताव पारित कर केसरी को हटा दिया था और यह बहुत ही चर्चित एवं विवादित प्रकरण रहा. सोनिया के सामने बुरी तरह हारा दिग्गज कांग्रेसी आजाद भारत में कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए तीसरी बार चुनाव साल 2000 में हुआ जब सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के सामने उत्तर प्रदेश के दिग्गज ब्राह्मण नेता जितेंद्र प्रसाद खड़े हुए. कभी राजीव गांधी के राजनीतिक सचिव रहे प्रसाद को इस चुनाव में करारी हार झेलनी पड़ी और उन्हें सिर्फ 94 वोट हासिल हुए. सोनिया को 7,400 डेलीगेट का समर्थन मिला था. अब तक 16 लोग संभल चुके कमान आजादी के बाद अब तक पार्टी की कमान 16 लोग संभाल चुके हैं, जिसमें गांधी परिवार के पांच अध्यक्ष रहे हैं. वर्तमान में कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी है और वह कांग्रेस के इतिहास में सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष पद पर रहने वाली महिला नेता हैं. आज़ाद भारत में अब तक ये लोग रहे अध्यक्ष स्वतंत्र भारत में गांधी परिवार के सदस्य करीब चार दशक तक कांग्रेस अध्यक्ष रहे हैं. जवाहर लाल नेहरू ने 1951 और 1955 के बीच पार्टी प्रमुख के रूप में काम किया. जवाहर लाल नेहरू ने 1955 में कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ दिया और यूएन धेबर ने पार्टी की कमान संभाली. इसके बाद इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) 1959, 1966-67, 1978-1984 तक कांग्रेस अध्यक्ष रहीं. बाद में कांग्रेस का कई मौकों पर विभाजन भी हुआ, हालांकि पार्टी का प्रमख हिस्सा गांधी परिवार के साथ रहा. के. कामराज 1964-67 तक अध्यक्ष रहे. एस निजलिंगप्पा 1968-69 में कांग्रेस अध्यक्ष रहे. इसके बाद जगजीवन राम 1970-71 में कांग्रेस अध्यक्ष बने. फिर डॉक्टर शंकर दयाल शर्मा 1972-74 तक कांग्रेस अध्यक्ष रहे. 1975-77 में देवकांत बरुआ कांग्रेस अध्यक्ष बने. इंदिरा गांधी की हत्या के 1985 से 1991 तक उनके पुत्र राजीव गांधी (Rajeev Gandhi) कांग्रेस अध्यक्ष रहे. इस दौरान पांच वर्षों तक वह प्रधानमंत्री भी रहे. 1992-96 के बीच पी.वी. नरसिंह राव कांग्रेस अध्यक्ष रहे. कांग्रेस ने कही ये बात कांग्रेस का कहना है कि वह देश की इकलौती पार्टी है जिसके अध्यक्ष का चुनाव लोकतांत्रिक ढंग से होता है. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने इस बार के चुनाव के महत्व का उल्लेख करते हुए कहा, ”मैं के. कामराज के विचारों को मानने वाला व्यक्ति हूं कि चुनाव सर्वसम्मति से होना चाहिए, लेकिन सहमति नहीं बन पाए तो चुनाव जरूरी हो जाता है. कांग्रेस एकमात्र पार्टी है जहां लोकतांत्रिक और पारदर्शी ढंग से चुनाव होता है.” उन्होंने कहा, ”फिलहाल गहलोत जी ने चुनाव लड़ने की घोषणा की है और थरूर ने भी चुनाव लड़ेंगे. ऐसे में संभावना है कि 17 अक्टूबर को चुनाव होगा.”

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Previous post जिला किन्नौर के टापरी में रूनग खड्ड में अचानक बाढ़ आने से NH-05 यातायात के लिए बंद है
Next post Global Warming: इस जर्मन यूनिवर्सिटी की रिसर्च में हैरान करने वाला दावा- साफ हवा से बढ़ रही है ग्लोबल वार्मिंग।
error: Content is protected !!