वर्शिप एक्ट सुनवाई के दौरान SC से स्वामी की बड़ी मांग, निकलेगा काशी-मथुरा का समाधान।सर्वोच्च न्यायालय ने 1991 के पूजा स्थल अधिनियम (Places Of Worship Act 1991) की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की. अदालत ने इस संबंध में केंद्र सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा था.
मगर, केंद्र ने अब तक जवाब दाखिल नहीं किया है. केंद्र सरकार की तरफ से SG तुषार मेहता ने जवाब दाखिल करने के लिए वक़्त मांगा है. वहीं, भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कोर्ट से कहा है कि जिस प्रकार राम मंदिर मामले में फैसला सुनाया गया था, उसी प्रकार काशी और मथुरा को भी अपवाद मानकर इसमें शामिल किया जाना चाहिए.
दरअसल, इस पूजा स्थल अधिनियम को चुनौती देने के लिए कई याचिकाएं दाखिल की गई थीं. 12 अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि पूजा स्थल अधिनियम के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर 31 अक्टूबर तक जवाब फाइल करे. 9 सितंबर को अदालत ने केंद्र सरकार को नोटिस भेजा था. वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने शीर्ष अदालत में एक आवेदन देकर प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के खिलाफ दाखिल याचिका को चुनौती दी थी.
चीफ जस्टिस (CJI) की बेंच ने केंद्र सरकार को 12 दिसंबर से पहले जवाब दायर करने का निर्देश दिया है और सुनवाई के लिए अगले साल जनवरी के पहले हफ्ते के लिए लाइनअप करने का आदेश जारी किया है. सुब्रमण्यम स्वामी ने CJI से कहा कि मैं इसे अलग रखने का प्रयास नहीं कर रहा हूं, मगर सिर्फ 2 और मंदिरों (काशी और मथुरा) को जोड़ने की आवश्यकता है और तब अधिनियम यथावत रह सकता है. CJI के नेतृत्व वाली बेंच ने कहा कि केंद्र सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा था. क्या राम जन्मभूमि मामले में शीर्ष अदालत की संविधान पीठ ने पहले ही 1991 के कानून की वैधता के सवाल का निपटारा कर दिया है. केंद्र ने अब तक जवाब नहीं दायर किया है.
भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने पूजा स्थल अधिनियम को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष मांग रखी है कि पूरे कानून को न हटाया जाए, मगर 2 काशी और मथुरा मामले को छूट दे दी जाए तो फिर कानून इसी स्वरूप में रह सकता है. सुनवाई के दौरान सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि मैं पूजा स्थल अधिनियम को निरस्त करने की मांग नहीं कर रहा. मेरी मांग है कि इस अधिनियम में अयोध्या की तरह 2 मन्दिर (काशी, मथुरा को भी) अपवाद के रूप में शामिल कर दिया जाए. दरसअल, पूजा स्थल अधिनियम के अनुसार, धार्मिक स्थलों का स्वरूप वही रहेगा, जो आजादी के समय यानि 15 अगस्त 1947 को था. मगर, अपवाद के रूप में अयोध्या मामले को एक एक्ट के दायरे से बाहर रखा गया था. अदालत ने कहा कि सरकार को 12 दिसंबर से पहले जवाब दायर करने दें.
Source : “News Track Live
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