2023 की वसंत पंचमी से बदल जाएगा ‘भारत का इतिहास’, शिक्षा मंत्री का बड़ा ऐलान। केद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भारत को ‘लोकतंत्र की जनन’ बताते हुए मंगलवार को कहा कि लोकतंत्र देश के ‘DNA’ में गहराई से समाया हुआ है. केंद्रीय मंत्री ने यहां एक राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत का गौरवशाली इतिहास और शिक्षा इसकी सबसे बड़ी संपत्ति रही है.
हमें यह याद रखना चाहिए कि हमारा दायित्व केवल देश के गौरव की रक्षा करना ही नहीं, बल्कि विश्व को उसके मूल्यों से प्रेरित करना भी है. Indian History के सिलेबस में NEP 2020 के तहत बदलाव किया जाएगा.
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि भारत वैश्विक नेता है और 500 करोड़ वैश्विक नागरिकों का केंद्र बिंदु भी है. हमारा देश लोकतंत्र की जननी है. लोकतंत्र भारत के ‘DNS’ में गहराई से समाया हुआ है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश भर के छात्रों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत 26 जनवरी, 2023 से वसंत पंचमी के अवसर पर भारतीय इतिहास का सही संस्करण पढ़ाया जाएगा. राष्ट्रीय शिक्षा नीति हमें अनेकों अवसर प्रदान कर रही है.
Digital University से इतिहास की पढ़ाई
आज भारत में मातृभाषा को प्राथमिकता देने से लेकर पढ़ाई के लिए 200 टीवी चैनल, डिजिटल यूनिवर्सिटी जैसे प्रयास हो रहे हैं. इतिहासकारों को इनके लिए ज्ञानवर्धक, वैज्ञानिक सामग्री तैयार करना होगा. हमें 21वीं सदी में भारत की प्राचीन संस्कृति और सभ्यता को एक नया वैश्विक परिप्रेक्ष्य देना चाहिए.
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना द्वारा 75 पुरानी किताबों को नयी रचनाओं के साथ पुनः प्रकाशित किया जा रहा है. प्रधान ने कहा कि यह किताबें भारत के बौद्धिक जगत को स्पष्टता देंगी. भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) और राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (एनबीटी) से उन्होंने आग्रह किया कि इन किताबों को भारत की सभी भाषाओं में अनुवाद कर डिजिटल माध्यमों में उपलब्ध कराया जाए.
G 20 में दिखेगी भारत की सभ्यता: प्रधान
भारत द्वारा G-20 की अध्यक्षता संभालने के बारे में प्रधान ने कहा कि हमें जी-20 को भारत का उत्सव बनाना होगा. कला, संस्कृति, सभ्यता की विरासत को तर्क, लेख, संगोष्ठी, संवाद के माध्यम से विश्व के सामने प्रस्तुत करना होगा. मैं सभी को इसमें अपनी रूचि के हिसाब से सहभागिता के लिए अपील करता हूं.
अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना और आईसीएचआर द्वारा संयुक्त रूप से बिहार के रोहतास जिला के जमुहार स्थित गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय के सहयोग से आयोजित इस सम्मेलन में हिमाचल केंद्रीय विश्वविद्यालय (धर्मशाला) के कुलपति सहित कई विद्वानों ने भाग लिया.
Source : “TV9 Bharatvarsh”
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