नीतीश कुमार की कुर्सी डगमगाई, न इधर के रहे, न उधर के।बिहार की राजनीति में बड़ी मजेदार बातें शुरू हो गई हैं| मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का दांव इस बार उल्टा पड़ गया है| कहां वह लालू यादव और सोनिया गांधी का आशीर्वाद लेकर प्रधानमंत्री बनने का सपना ले रहे थे, और कहां अब उन पर मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने का दबाव बनाया जा रहा है| भाजपा का दामन छोड़ कर जब नीतीश कुमार लालू यादव के साथ गए थे, तो देश भर में हवा बनाई गई थी कि नीतीश कुमार विपक्ष की तरफ से प्रधानमंत्री पद का चेहरा होंगे|
नीतीश कुमार ने खुद विपक्ष का साझा नेता बनने के प्रयास भी शुरू किए थे| वह दिल्ली आकर सोनिया गांधी, शरद पवार, केजरीवाल, ओम प्रकाश चौटाला, सुखबीर सिंह बादल आदि से मिले थे| ममता बनर्जी से बात की थी और केसीआर को बाकायदा पटना बुलवाया था, लेकिन मीडिया के एक वर्ग के अलावा किसी अन्य राजनीतिक दल ने नीतीश को प्रधानमंत्री का साझा चेहरा बनाने का नाम तक नहीं लिया|
ममता बनर्जी ने खुद को प्रोजेक्ट करने की मुहिम बंद नहीं की है, तो केसीआर ने भी खुद को प्रोजेक्ट करने की मुहिम चला रखी है| केसीआर ने अपनी पार्टी का नाम बदल कर भारतीय राष्ट्र समिति कर लिया है, जिसकी पहली राष्ट्रीय रैली खम्मम में 18 जनवरी को हो रही है। इस रैली में केरल के सीपीएम के मुख्यमंत्री पी. विजयन, आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव हिस्सा ले रहे हैं| यह अलग बात है कि जिस दिन केसीआर खम्मम में राष्ट्रीय रैली करेंगे, उसी दिन खम्मम के पूर्व सांसद और टीआरएस नेता श्रीनिवास रेड्डी भारत राष्ट्र समिति छोड़ कर भाजपा ज्वाइन करेंगे|
लेकिन जहां तक नीतीश कुमार का सवाल है तो इन सब घटनाओं से साफ़ है कि उन्हें विपक्ष का साझा उम्मीदवार बनाने के जो सपने दिखाए गए थे, वे सपने अब लगभग टूट गए हैं| इधर राष्ट्रीय जनता दल ने नीतीश कुमार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है कि वह तेजस्वी यादव के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ें| राष्ट्रीय जनता दल ने उस समय तो उन्हें चने के झाड़ पर चढा दिया था, अब आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा है कि बड़े उद्देश्य की प्राप्ति के लिए छोटा पद छोड़ना पड़ता है।
उनके सामने वीपी सिंह का उदाहरण दिया गया है कि वीपी सिंह तभी प्रधानमंत्री बन पाए थे, जब उन्होंने यूपी के मुख्यमंत्री का पद त्यागा था| यानी उन्हें कहा जा रहा है कि वह मुख्यमंत्री पद की कुर्सी छोड़ें| अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाने के लिए वह बिहार की यात्रा पर निकले हुए हैं, लेकिन उन पर कुर्सी छोड़ने का दबाव उतना ही ज्यादा बढ़ गया है|
आरजेडी की ओर से नीतीश कुमार को सार्वजनिक तौर पर अपमानित किया जा रहा है| आरजेडी के विधायक सुधाकर सिंह उन्हें खुलेआम सार्वजनिक तौर पर शिखंडी और भिखारी कह चुके हैं| हालांकि तेजस्वी यादव और सुधाकर सिंह के पिता प्रदेश राजद अध्यक्ष जगदानंद ने सुधाकर सिंह के बयान पर नाराजगी का इजहार किया है, लेकिन नीतीश कुमार के दबाव के बावजूद अभी तक सुधाकर सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है| सुधाकर सिंह ने तेजस्वी और अपने पिता के नाराजगी वाले बयानों के बाद भी नीतीश कुमार को शिखंडी कहा है| साफ़ है कि राष्ट्रीय जनता दल अपने नेताओं से उनकी फजीहत करवा रहा है|
नीतीश कुमार की हालत यह हो रही है कि न खुदा ही मिला, न वसाल-ए-सनम, न इधर के रहे , न उधर के| प्रधानमंत्री तो क्या मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाना मुश्किल हो गया है| नीतीश कुमार राजद से दिसंबर 2023 तक की मोहलत मांग रहे हैं, क्योंकि वह मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए राष्ट्रीय राजनीति में अपनी संभावनाएं खोजने के लिए भारत भ्रमण करना चाहते हैं| ठीक उसी तरह जैसे 2013 में भाजपा में अपने नाम पर सहमति बनवाने के लिए नरेंद्र मोदी ने किया था|
इन यात्राओं के लिए नीतीश कुमार ने राज्य सरकार का 250 करोड़ रूपए का एक हवाई जहाज और 100 करोड़ रूपए का एक हेलीकाप्टर भी खरीद लिया है| लेकिन शुरू में जिस लालू यादव ने उन्हें प्रधानमंत्री बनवाने के सपने दिखाए थे, अब उन्होंने भी यह कह कर नीतीश कुमार की हवा निकाल दी है कि सबको कांग्रेस के छाते के नीचे आना पड़ेगा| लालू यादव अपने ऑपरेशन के बाद अभी स्वदेश नहीं लौटे हैं। उनके स्वदेश लौटते ही बिहार की राजनीति में बड़े भूचाल की उम्मीद की जा रही है|
उधर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने यह कह कर प्रधानमंत्री पद के सभी चेहरों की हवा निकाल दी है कि राहुल गांधी ही विपक्ष की तरफ से प्रधानमंत्री का चेहरा होंगे| राहुल गांधी का प्रभाव बढ़ाने के लिए उनकी यात्रा में विभिन्न वर्गों के जाने माने चेहरों को लाने की कोशिश की जा रही है| यूपी में राहुल गांधी की यात्रा में शामिल होने से इनकार करने वाले राकेश टिकैत ने हरियाणा जाकर राहुल गांधी से यात्रा के दौरान मुलाक़ात की है|
असल में राहुल गांधी की पदयात्रा ही इसलिए शुरू करवाई गई कि कुकरमुत्तों की तरह उग रहे प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवारों को राहुल गांधी के मुकाबले हल्का साबित किया जा सके| जयराम रमेश के बयान के बाद नीतीश कुमार ने बुझे मन से कह दिया है कि राहुल गांधी को चेहरा बनाने पर उन्हें एतराज नहीं, लेकिन सभी विपक्षी दलों में सहमति बननी चाहिए| यानि वह अभी भी अपने नाम पर सहमति की उम्मीद लगाए बैठे हैं, जबकि उन्हें चने के झाड़ पर चढ़ाने वाले राजद ने ही सीढ़ी खींच ली है| अगर नीतीश ने खुद मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं छोड़ी तो लालू यादव जदयू के विधायकों से दलबदल करवा कर तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनवा देंगे|
Source : “OneIndia”
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