ऊना के रोबिन सैणी ने स्वरोजगार की लिखी नई ईबारत

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ऊना:- अब पढे़-लिखे लोगों का रूझान खेती की ओर बढ़ रहा है। खेती को व्यवसाय के रूप में अपनाकर घर बैठे ही लाखों रूपये कमा रहे हैं।

ऐसे ही शख्स हंै जिला ऊना के लोअर अरनियाला के रोबिन सैणी जिन्हें घर की विपरीत परिस्थितियों के चलते इंजीनियर की नौकरी छोड़नी पड़ी। नौकरी छोड़ने के उपरांत आय के सभी साधन बंद हो गए, तो उन्होंने खुद का व्यवसाय आरंभ करने के बारे में सोचा और घर बैठे ही मशरूम की खेती करने का मन बनाया। वर्तमान में रोबिन सैणी सफलतापूर्वक मशरूम की खेती कर रहे हैं और अन्यों को भी इस व्यवसाय से जुड़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

रोबन सैणी का कहना है कि जैसी ही उन्होंने मशरूम की खेती करने का मन बनाया, तो सबसे पहले वह बागवानी विभाग के अधिकारियों से मिले और मशरूम उत्पाद के विषय से संबंधित पूर्ण जानकारी हासिल की। रोबिन सैणी ने बताया कि मशरूम की खेती करने के लिए पालमपुर में पांच दिन का प्रशिक्षण लिया। खुम्ब अनुसंधान निदेशालय (डीएमआर) सोलन से भी मशरूम करने में भी काफी सहयोग मिला।

मशरूम की खेती शुरू करने के लिए रोबिन सैणी ने बैंक से 16 लाख रूपये का ऋण लिया जिसमें विभाग के ओर 8 लाख रूपये की सबसिडी मिली। उन्होंने घर के एक कमरे से मशरूम की खेती 700 बैग लगाकर शुरू की, उसके उपरांत 15-20 दिन के अंतराल में उन्होंने तीन कमरों में मशरूम के 800-800 बैग में खेती करनी आरंभ की। रोबिन ने बताया कि समय पर सीरीज़ में फसल तैयार होने से उन्हें बैंक की किस्त देने में किसी तरह की आर्थिक दिक्कत नहीं हुई और विभाग द्वारा भी उन्हें समय पर उपदान की राशि प्रदान की गई जिससे उन्होंने सीरीज़ में मशरूम की खेती की।

अबतक रोबिन सैणी मशरूम की पांच फसलें ले चुके हैं। उन्होंने बताया कि उत्पादित मशरूम को स्थानीय बाजार के अतिरिक्त जिला के साथ लगते पड़ोसी जिला होशियारपुर और नंगल में भी इसकी बिक्री करते हैं। रोबिन सैणी ने बताया कि मशरूम उत्पादन पर आई कुल लागत का 50 प्रतिशत मुनाफा कमा लेते हैं। उन्होंने  मशरूम उत्पादन से 6 माह में करीब 2.5 लाख रूपये की आय अर्जित की। रोबिन ने बताया कि विभागीय अधिकारी समय-समय पर मशरूम खेती का निरीक्षण कर आवश्यक दिशा-निर्देश देते हैं कि किस समय पर कौन सी ऐहतियात बरतनी है।

रोबिन सैणी का कहना है कि बेरोजगार युवा इस फार्मिंग को अपनाएं। स्वरोजगार के लिए मशरूम की खेती करना एक अच्छा विकल्प है। उन्होंने बताया कि मशरूम की खेती एक फैमिली फार्मिंग है जिसे परिवार के सदस्यों के साथ घर बैठकर आसानी से किया जा सकता है।

उन्होंने बेरोजगार युवाओं से आग्रह किया कि वे रोजगार के लिए बाहरी राज्यों का रूख न करें, अपितु सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर घर बैठे ही स्वरोजगार को अपनाकर अपने घर की आर्थिकी को मजबूत कर सकते हैं।

विषय विशेषज्ञ बागवानी विभाग ऊना के डाॅ केके भारद्वाज ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के किसानों/बागवानों के उत्थान के लिए बागवानी के क्षेत्र में विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही है। इन्हीं योजनाओं के तहत हिमाचल खुम्ब विकास एक प्रमुख योजना है। इस योजना के अंतर्गत प्रदेश के किसानों व बागवानों को 40 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान है। केकेभारद्वाज ने बताया कि खुम्ब उत्पादन का कार्य करने के लिए किसानों व बागवानों को पहले छोटे स्तर पर खुम्ब उत्पादन का कार्य करना चाहिए। उन्होंने किसानों/बागवानों से आहवान किया कि वे पहले छोटे स्तर की खुम्ब उत्पादन ईकाई से अपना कार्य आरंभ करें जैसे ही मशरूम के कार्य में अनुभव हो जाता है तो किसान व बागवान मशरूम की खेती करने के लिए बडे़ स्तर की ईकाई पर कार्य कर सकते हैं। उन्होंने जिला के नौजवानों से मशरूम उत्पादन की खेती का स्वरोजगार अपनाने की अपील की तथा आत्मनिर्भर बन सकते हैं।

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