पाकिस्तान में होंगे चुनाव, राष्ट्रपति के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने भी सुनाया इमरान खान के पक्ष में फैसला। पजाब और खैबर पख्तूनख्वा में चुनावों को लेकर चल रही लंबी खींचतान के बीच पाकिस्तान की शीर्ष अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है। अदालत ने दोनों प्रांतों में संविधान के मुताबिक 90 दिनों के भीतर चुनाव कराने का निर्देश दिया है।
आपको बता दें कि अदालत ने दोनों प्रांतों में चुनाव की तारीख की घोषणा में देरी के संबंध में पिछले हफ्ते खुद ही संज्ञान लेकर कार्यवाही शुरू की थी।
3-2 बहुमत से सुनाया फैसला
14 और 18 जनवरी को पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा विधानसभाओं को इमरान खान की अगुवाई वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी ने देश में समय से पहले आम चुनाव कराने के लिए भंग कर दिया था। बता दें कि मुख्य न्यायाधीश उमर अता बांदियाल की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने तीन के बहुमत से यह निर्णय जारी किया है। मुख्य न्यायाधीश उमर अता बांदियाल की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने तीन के बहुमत से निर्णय जारी किया निर्णय ने दो प्रांतों में चुनावों का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। वर्तमान में अंतरिम सरकारों द्वारा इन प्रांतों को चलाया जा रहा है।
राज्यपाल को लेना होगा फैसला
अदालत के इस निर्णय ने दो प्रांतों में चुनावों का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। अदालत ने यह भी फैसला सुनाया कि 9 अप्रैल को चुनाव कराने के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के आदेश पंजाब विधानसभा के लिए बाध्यकारी होंगे, लेकिन खैबर पख्तूनख्वा विधानसभा के लिए यह आदेश बाध्यकारी नहीं होगा, क्योंकि इसे राज्यपाल द्वारा भंग किया गया था। शीर्ष अदालत ने साफ कहा कि अगर राज्यपाल ने विधानसभा को भंग कर दिया, तो राज्यपाल चुनाव की तारीख की घोषणा करेंगे।
शीर्ष अदालत ने खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के गवर्नर को प्रांतीय चुनाव की तारीख की घोषणा करने का आदेश दिया। फैसले में कहा गया है कि राष्ट्रपति और पाकिस्तान के चुनाव आयोग को परामर्श के बाद पंजाब के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करनी चाहिए। पीठ ने मंगलवार को सत्तारूढ़ गठबंधन, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई), राष्ट्रपति और अन्य के वकीलों के वकीलों सहित सभी पक्षों को सुनने के बाद मामले का निष्कर्ष निकाला।
क्या ये अदालत की नैतिक जीत है?
आपको बता दें कि अदालत के इस फैसले को इमरान खान की एक नैतिक जीत बताई जा रही है। इमरान खान की पार्टी ने जल्द चुनाव की मांग की थी, लेकिन चुनाव आयोग ने फंड की कमी का हवाला देते हुए चुनाव कराने से साफ इनकार कर दिया था। इस्लामाबाद में गठबंधन सरकार पर दबाव बनाने के लिए, पूर्व प्रधानमंत्री खान जिनकी पार्टी पंजाब और खैबर-पख्तूनख्वा में सत्ता में थी, इमरान सरकार ने दो विधानसभाओं को भंग कर दिया था।
By OneIndia
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