प्रदेश के 22 निगम-बोर्डों में से 12 घाटे में, बिजली बोर्ड-एचआरटीसी को 3300 करोड़ नुकसान

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हिमाचल में व्यवस्था परिवर्तन की सरकार क्या घाटे के बोर्डों और निगमों का इलाज अपने पहले बजट में करेगी? यह सवाल इसलिए क्योंकि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने एग्रो इंडस्टरीज कॉरपोरेशन को बंद करके इस बारे में उम्मीद जताई है। राज्य सरकार के कुल 22 सार्वजनिक उपक्रम हैं और इनमें से 12 घाटे में चल रहे हैं। ऐसे सफेद हाथियों का इलाज क्या नई सरकार का बजट करेगा? यह देखने वाली बात होगी। दरअसल सार्वजनिक उपक्रमों में हिमाचल सरकार अब तक 3000 करोड़ रुपए से ज्यादा का पूंजीगत निवेश कर चुकी है। इसके बावजूद इन सार्वजनिक उपक्रमों में अब तक 4348 करोड़ नुकसान हो चुका है। इन सरकारी बोर्डों और निगमों में इस समय 28095 कर्मचारी तैनात हैं, लेकिन सबसे बड़ी चिंता की बात दो बड़े बोर्ड और निगम राज्य बिजली बोर्ड और हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम हैं।

 

इनमें से बिजली बोर्ड का घाटा 1706 करोड़ है, तो एचआरटीसी भी अभी तक करीब 1600 करोड़ के नुकसान में है। ये दोनों ही उपक्रम राज्य सरकार की घोषणा के मुताबिक नि:शुल्क या सब्सिडाइज सेवाएं लोगों को दे रहे हैं। इसकी भरपाई समय पर राज्य सरकार की ओर से होती भी नहीं। इसलिए नुकसान बढ़ता जा रहा है। इन्हीं दो उपक्रमों में 21000 से ज्यादा कर्मचारी हैं। यानी कुल घाटे और कर्मचारियों की संख्या भी 80 फीसदी इन्हीं दो उपक्रमों में है। सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार एग्रो इंडस्टरीज कॉरपोरेशन को हाल ही में एचपीएमसी में मर्ज कर चुकी है, जो करीब 14 करोड़ के नुकसान में थी। इसके बाद अब उद्योग विभाग के तहत चल रहे वित्त निगम को भी समेटने की तैयारी है, जो 174 करोड़ के नुकसान में है, लेकिन घाटे वाले अन्य 10 बोर्डों और निगमों का क्या होगा? यह बड़ा सवाल है। क्या मुख्यमंत्री अपने पहले बजट में इस बारे में कोई लक्ष्य तय करेंगे? ताकि ये सार्वजनिक उपक्रम खुद को अच्छी स्थिति में ला सकें। या फिर इन्हें समेटने के लिए एक प्रक्रिया राज्य सरकार ने बनाएगी, जिसे पांच साल में पूरा किया जाएगा।

 

घाटे वाले सरकारी निगम और बोर्ड

 

लोक उपक्रम घाटा कर्मचारी

राज्य बिजली बोर्ड 1706 करोड़ 12655

एचआरटीसी 1600 करोड़ 9890

राज्य वित्त निगम 174 करोड़ 14

पावर कारपोरेशन 552 करोड़ 533

ट्रांसमिशन कारपोरेशन 240 करोड़ 331

एससी-एसटी निगम 26 करोड़ 84

एचपीएमसी 87 करोड़ 50

फोरेस्ट कारपोरेशन 108 करोड़ 1294

हथकरघा निगम 13 करोड़ 31

पर्यटन विकास निगम 94 करोड़ 1420

मिल्कफेड 16 करोड़ 159

अल्पसंख्यक वित्त निगम 2 करोड़ 11

(आंकड़े वित्त वर्ष 2021-22 पर आधारित हैं)

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