हिमाचल: सस्ती बिजली मिलने पर संशय, बोर्ड को 500 करोड़ का ही मिला उपदान ।
ऐसे में एक अप्रैल से बिजली की दरें बढ़ने की संभावना बन गई है। बिजली बोर्ड ने 90 पैसे प्रति यूनिट की दर से दरों में बढ़ोतरी करने का विद्युत विनियामक आयोग को प्रस्ताव भेजा है। घरेलू उपभोक्ताओं को 125 यूनिट निशुल्क बिजली देने से बोर्ड की आर्थिकी बिगड़ गई है। उम्मीद थी कि बजट भाषण मुख्यमंत्री उपदान की राशि को बढ़ाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
घरेलू और कृषि उपभोक्ताओं के बिजली बिलों पर अनुदान देने के लिए सरकार की ओर से उपदान दिया जाता है। वर्ष 2022-23 के बजट में भाजपा सरकार ने बोर्ड को सस्ती बिजली देने के लिए 500 करोड़ का उपदान दिया था। घरेलू उपभोक्ताओं को प्रतिमाह 60 यूनिट निशुल्क देने की घोषणा की गई थी। कुछ माह बाद भाजपा सरकार ने 125 यूनिट तक बिजली को निशुल्क कर दिया था। इसकी एवज में 66 करोड़ की प्रतिमाह उपदान राशि अलग से दी गई। ऐसे में 125 यूनिट निशुल्क बिजली की योजना को जारी रखने के लिए बोर्ड को करीब 800 करोड़ के उपदान की जरूरत थी। सरकार अगर चाहती कि 126 यूनिट से अधिक बिजली दरों को नहीं बढ़ाया जाए तो करीब 1100 करोड़ का उपदान बोर्ड को मिलना था।
ऐसे में संभावित है कि इसी माह विनियामक आयोग की ओर से जारी होने वाली बिजली दरों में सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं को महंगी बिजली का झटका लग सकता है। उधर, प्रदेश में घरेलू उपभोक्ताओं को फिलहाल प्रतिमाह 300 यूनिट बिजली निशुल्क मिलने के आसार कम हैं। आर्थिक संकट से जूझ रही सरकार ने इस बाबत अभी कोई फैसला नहीं लिया है। हिमाचल में पूर्व की भाजपा सरकार ने घरेलू उपभोक्ताओं को प्रतिमाह 60 यूनिट तक निशुल्क बिजली देने का फैसला लिया था। बाद में यूनिट को 60 से बढ़ाकर 125 तक किया गया। बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि 125 यूनिट तक निशुल्क बिजली प्रयोग करने वाले उपभोक्ताओं की संख्या अब बढ़ गई है। जो उपभोक्ता पहले 60 यूनिट तक ही बिजली प्रयोग कर रहे थे, अब वो भी 100 यूनिट से अधिक बिजली प्रयोग करने लगे हैं। इससे बोर्ड को आर्थिक तौर पर नुकसान हो रहा है।
By अमर उजाला
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