बीजेपी के सीनियर नेता और केंद्रीय राष्ट्रीय राजमार्ग व परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बड़ा बयान दिया है। गडकरी ने साफ-साफ कहा कि अगर लोगों को उनका काम पसंद आए तो वोट दें, नहीं तो मत दें।
सोमवार को नागपुर में वह डॉ मोहन धारिया राष्ट्र निर्माण पुरस्कार समारोह में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि वह वोट के लिए मक्खन लगाने वाले नहीं हैं। गडकरी ने कहा, ‘मैं देश में जैव ईंधन और वाटरशेड संरक्षण सहित कई प्रयोग कर रहा हूं। अगर लोग इन्हें पसंद करते हैं, तो ठीक है… नहीं तो मुझे वोट मत दें। मैं पॉपुलर पॉलिटिक्स के लिए ज्यादा मक्खन लगाने को तैयार नहीं हूं।’
नितिन गडकरी ने कहा कि जल संरक्षण, जलवायु परिवर्तन और बंजर भूमि के सही इस्तेमाल जैसे क्षेत्रों में प्रयोग की काफी गुंजाइश है। हमारी ओर से इसे लेकर बड़ी लगन से काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुझे इससे प्यार भी है। भाजपा नेता ने कहा, ‘भविष्य में हमें इस क्षेत्र में और अधिक मेहनत करनी होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि यह न केवल भारत की अर्थव्यवस्था बल्कि ग्रामीण इलाकों की सूरत भी बदल सकता है। हमने देश भर में इस तरह के कई प्रयोग शुरू किए हैं। अगर लोगों को यह पसंद आया, तो वे मुझे वोट देंगे… नहीं तो वे मुझे खारिज भी कर सकते हैं। वे मेरी जगह किसी और चुन सकते हैं।’
गडकरी बोले- राजनीति पैसे कमाने का धंधा नहीं
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राजनीति पैसे कमाने का धंधा नहीं है। उन्होंने कहा, ‘राजनीति का अर्थ सामाजिक कार्य, राष्ट्रीय मुद्दों को हल करना और विकास से जुड़े कार्य करना भी है। सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन ही राजनीति का मुख्य लक्ष्य है।’ गडकरी ने कहा कि सतत विकास आधुनिक दुनिया में सफलता की मुख्य कुंजी है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के बिना विकास टिकने वाला नहीं है। मॉर्डन वर्ल्ड में विकास भी उतना ही जरूरी है। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में अर्थव्यवस्था के विकास के लिए बांस के इस्तेलमाल पर भी जोर दिया।
किसानों को बताए खेती से लाभ के तरीके
आर्थिक विकास को लेकर वह बांस की खेती की वकालत करते नजर आए। उन्होंने कहा, ‘महाराष्ट्र के किसानों की आर्थिक प्रगति के लिए बांस की खेती बेहतरीन विकल्प है। बहुत कम निवेश से ही किसान बांस की खेती से लाभ कमा सकते हैं।’ इसी तरह उन्होंने गन्ने से इथेनॉल बनाने की भी अहमियत बताई। गडकरी ने कहा कि राज्य में किसानों के लिए यह एक और लाभ कमाने का जरिया साबित होने वाला है। उन्होंने कहा कि इथेनॉल के इस्तेमाल से जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने में मदद मिल सकती है।
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