दिल्ली में आज से कबाड़ हो जाएंगे 15 साल पुराने सभी सरकारी वाहन, शुरू होगी स्क्रैपिंग ।वाहनों से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम की दिशा में एक बड़े कदम के तौर पर शनिवार से 15 साल पुराने सभी सरकारी वाहनों की स्क्रैपिंग शुरू होगी।
इनमें सभी परिवहन निगमों की बसों और निकायों के वाहन शामिल हैं। केवल रक्षा, आंतरिक सुरक्षा और कानून एवं व्यवस्था में उपयोग किए जा रहे वाहनों को इससे छूट दी गई है।
माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर तैयार की गई केंद्र सरकार की स्क्रैपिंग नीति के क्रियान्वयन के तहत उठाए गए इस कदम के माध्यम से करीब नौ लाख खटारा और अनुपयुक्त वाहनों से मुक्ति मिलेगी। इनके स्थान पर साफ-स्वच्छ ऊर्जा से संचालित वाहनों को सरकारी बेड़े में शामिल किया जाएगा। वैसे देश में रजिस्टर्ड वाहन स्क्रैपिंग सुविधा केंद्रों (आरवीएसएफ) की कमी इस मुहिम के लिए एक चुनौती बन सकती है। गत वर्ष गडकरी ने 15 साल पुराने सभी सरकारी वाहनों को कबाड़ में तब्दील करने का एलान किया था। इसके लिए राज्यों से इस तरह के वाहनों का ब्योरा तलब किया गया था।
राज्य अपने परिवहन निगम की बसों को हटाने से इसलिए आनाकानी करते रहे हैं, क्योंकि उन्हें नई बसों के लिए फंड की समस्या महसूस हो रही थी। केंद्र सरकार इलेक्ट्रिक बसों को प्रोत्साहन देने के साथ राज्यों को स्क्रैपिंग नीति पर अमल के लिए अगले वित्तीय वर्ष में तीन हजार करोड़ रुपये की मदद देने जा रही है।
टली अनिवार्य फिटनेस टेस्टिंग
सड़क परिवहन मंत्रालय ने भारी माल और यात्री वाहनों की रजिस्टर्ड आटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशनों (एटीएस) में अनिवार्य फिटनेस जांच को 18 महीने यानी एक अक्टूबर 2024 तक टाल दिया है। इसके पहले मंत्रालय ने घोषणा की थी कि एक अप्रैल 2023 से सभी भारी माल तथा सवारी वाहनों की एटीएस के जरिये फिटनेस टेस्टिंग अनिवार्य होगी। हालांकि, मध्यम श्रेणी के माल तथा यात्री वाहनों और कारों की एटीएस के जरिये अनिवार्य फिटनेस टेस्टिंग एक जून 2024 से अनिवार्य होगी। मंत्रालय ने कहा है कि देश में एटीएस की तैयारी के मौजूदा स्तर को देखते हुए भारी माल तथा यात्री वाहनों की अनिवार्य फिटनेस टेस्टिंग को फिलहाल टालने का फैसला किया गया है।
ई-वेस्ट के नए नियम आज से प्रभावी, न मानने पर होगी जेल
ई-वेस्ट को लेकर अब किसी भी तरह का ढुलमुल रवैया नहीं चलेगा। बल्कि अब जो भी ई-वेस्ट पैदा करेगा, उसी को उसे नष्ट करने की जिम्मेदारी उठानी होगी। ई-वेस्ट के एक अप्रैल से प्रभावी होने वाले नए नियमों के तहत इस जिम्मेदारी को नहीं उठाने वालों से सख्ती से निपटा भी जाएगा। इसमें उन्हें जुर्माना और जेल दोनों ही भुगतना पड़ सकता है।
ई-वेस्ट के दायरे को भी बढ़ा दिया गया है और 21 वस्तुओं की जगह अब 106 वस्तुओं को इसमें शामिल किया गया है। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने ई-वेस्ट को लेकर नए नियम पिछले महीने ही जारी कर दिए थे। इन नियमों के तहत ई-वेस्ट को नष्ट करने की जवाबदेही ब्रांड उत्पादकों की होगी। नए नियमों में उन्हें इसके संग्रहण और री-साइक्लिंग जैसी जिम्मेदारी से मुक्ति दे दी है, लेकिन इसके बदले उन्हें री-साइक्लरों ( ई-कचरे को नष्ट करने वाले उद्योगों) से निर्धारित मात्रा में ई-वेस्ट नष्ट करने का सर्टीफिकेट लेना होगा। जिसके बदले उन्हें इन री-साइक्लरों को पैसा भी देना होगा। किस ई-वेस्ट उत्पादक को कितनी मात्रा का सर्टिफिकेट लेना होगा, इसका निर्धारण उसकी ओर से उत्पादित वस्तु की औसत आयु से तय होगी।
वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक ई-वेस्ट के नए नियमों के तहत केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एक आनलाइन पोर्टल तैयार कर लिया है, जिसमें ई-वेस्ट के तहत अधिसूचित सभी 106 वस्तुओं को तैयार करने वाले उत्पादकों को इस पोर्टल पर खुद को पंजीकृत कराना होगा। साथ ही सभी री-साइक्लरो को भी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इसके आधार पर ही उन्हें अब नए उत्पादन की अनुमति मिलेगी।
By जागरण
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