कैग ने खोली शहरी निकायों की पोल; रिपोर्ट में दावा; नहीं हो रही जरूरी बैठकें, फैसला लेने का अधिकार भी नहीं

यह रिपोर्ट वर्ष 2015 से 2020 के बीच की है। तब राज्य में कुल 54 शहरी निकाय थे। इनमें नगर निगम, नगर परिषद और नगर पंचायतें शामिल हैं। कैग ने ऑडिट के लिए 14 शहरी निकायों को खंगाला था। कैग की रिपोर्ट बताती है कि हिमाचल में शहरी निकाय, तो बना दिए गए और इन्हें कुल 18 फंक्शन भी दे दिए गए, लेकिन इन्हें पूरा करने के लिए अधिकार राज्य सरकार ने अब तक नहीं दिया है। इससे संविधान के 74वें संशोधन को प्रभावी तौर पर लागू नहीं किया जा सका है। रिपोर्ट के अनुसार शहरी निकायों में जरूरी बैठकें तक नहीं हो रहीं। पांच साल की ऑडिट अवधि में 95 फीसदी जरूरी मीटिंग में से 35 फीसदी ही हो पाई थी। इस अवधि में नगर परिषद सोलन में 44, नगर परिषद नाहन में 83 और नगर पंचायत सुन्नी में 46 बैठकें हुईं, जबकि 11 अन्य शहरी निकायों में एक भी बैठक नहीं हुई। शिमला नगर निगम के अलावा किसी भी शहरी निकाय में वार्ड कमेटियों का गठन नहीं हुआ था।

शहरी निकाय जिला प्लानिंग कमेटी में अपना डिवेलपमेंट प्लान भी जमा नहीं करवा रहे हैं। कैग रिपोर्ट कहती है कि बहुत से मामलों में राज्य सरकार के पास शहरी निकायों से ऊपर के अधिकार हैं। इसमें नए नियम बनाने से लेकर पारित प्रस्ताव पर फैसला लेना भी शामिल है। इस कारण शहरी निकाय टैक्स लगाने या बजट अनुमानों को लेकर भी अपने स्तर पर निर्णय नहीं ले पा रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकतर शहरों में नगर परिषद या नगर निगम राज्य सरकार से मिलने वाले पैसे पर निर्भर है। यह इनके कुल राजस्व का 78 फीसदी है। इसके बावजूद इन्हें समय पर पैसा नहीं मिलता। तीन साल में 32 करोड़ का आबंटन पेंडिंग था। जो पैसा मिलता भी है, उसमें से हर साल करीब 40 फीसदी खर्च नहीं हो रहा। शहरों में प्रॉपर्टी टैक्स या अन्य तरह का कर लगाने के लिए कोई एकरूपता नहीं है। प्रॉपर्टी पर टैक्स तय करने के लिए ज्योग्राफिक इनफॉरमेशन सिस्टम या ऑटोमेटिक प्रॉपर्टी टैक्स कैलकुलेशन जैसी कोई सुविधा नहीं है। रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि शहरी निकायों को राज्य वित्त आयोग की सिफारिश के अनुसार फंड टाइम पर मिलना चाहिए। शहरी निकायों की सीमा के भीतर स्थित प्रॉपर्टी की जीआईएस मैपिंग भी करवाने को कहा गया है। ऑडिट रिपोर्ट की पांच साल की अवधि में विभिन्न शहरी निकायों में कर्मचारियों के पद भी खाली थे। यह वैकेंसी 35 से 57 फीसदी तक थी। (एचडीएम)

स्मार्ट सिटी, हिमुडा और एसजेपीएनएल में ज्यादा रोल नहीं

कैग रिपोर्ट कहती है कि शिमला नगर निगम में पानी और सीवरेज का काम एसजेपीएनएल के पास है, लेकिन यह सीधे राज्य सरकार के नियंत्रण में है और शहरी निकाय का ज्यादा रोल नहीं है। इसी तरह शहरी निकायों की जमीन में हिमुडा एनओसी देने की एक अथॉरिटी है, जबकि शहरी निकाय के पास हिमुडा की गवर्निंग बॉडी में कोई अधिकार नहीं है। इसी तरह धर्मशाला और शिमला नगर निगमों को स्मार्ट सिटी के तहत लिया गया, लेकिन स्मार्ट सिटी के स्पेशल पर्पज व्हीकल में शहरी निकायों यानी नगर निगमों का रोल 25 फीसदी है।

कैग ने खोली शहरी निकायों की पोल; रिपोर्ट में दावा; नहीं हो रही जरूरी बैठकें, फैसला लेने का अधिकार भी नहीं।
विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सोमवार को सदन के पटल पर रखी गई नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी कैग की रिपोर्ट ने शहरी निकायों की पोल खोल दी है।

By Divya Himachal

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