जब हम प्राकृतिक सौंदर्य वाले राज्यों की बात करते हैं तो मिज़ोरम का नाम भी आपके ज़हन में जरूर आता होगा। हाल ही में नॉर्थ ईस्ट के इस राज्य को लेकर बेहद अहम और सकारात्मक स्टडी हुई जिसमें मिज़ोरम को देश भर में सबसे ‘खुशहाल राज्य’ का दर्जा दिया गया है।
दरअसल, गुरुग्राम में प्रबंधन विकास संस्थान यानि मैनेजमेंट डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट (MDI) के प्रोफेसर राजेश के पिलानिया ने एक स्टडी की है, जिसमें उन्होंने खुशहाल राज्य के लिए छह मानक निर्धारित किए थे। बता दें कि यह स्टडी राज्य में पारिवारिक रिश्ते, सामाजिक और कार्य संबंधी मुद्दे, धार्मिक सद्भाव, कोविड के प्रभाव, खुशहाली, परोपकार, शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य के संतुलन को ध्यान में रखकर की गई है।
साक्षरता दर में कई प्रदेशों को पछाड़ा
मिज़ोरम की गिनती विकीपीडिया के मुताबिक अधिसूचित पिछड़ा क्षेत्र में की जाती है, लेकिन साक्षरता के मामले में यह राज्य दूसरे कई बड़े प्रदेशों को पीछे छोड़ता नजर आता है। बकौल विकीपीडिया, यहां की साक्षरता दर 91.3% है जो कि भारत में सबसे अधिक बताई जाती है। ताजा स्टडी बताती है कि कठिन परिस्थितियों में इतनी ज्यादा साक्षरता दर होना काफी बेहतर है क्योंकि ये प्रदेश में विकास के अधिकाधिक अवसर प्रदान करने के साथ स्टूडेंट्स के लिए रोजगार के विकल्पों की संभावनाएं भी बढ़ाती है।
सामाजिक सौहार्द बनाता है अलग
मिज़ोरम को अलग बनाता है यहां के लोगों के बीच का सामाजिक सद्भाव। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इससे राज्य के युवाओं को खुशहाल रहने में मदद मिलती है। ऐसे परिवेश में राज्य के युवा स्वयं को एक ही समाज के मानते हैं।
आशावादी रहने के लिए इनसे लें सीख
खुशहाल राज्य को लेकर जो स्टडी की गई है उसमें कुछ ऐसे बच्चों की कहानी का उल्लेख किया गया है, जो न सिर्फ मिज़ोरम बल्कि देश के लिए नजीर है। आइए जानते हैं’ :
- आइजोल स्थित एक सरकारी स्कूल के छात्र को कई तरह की मुश्किलें उठानी पड़ीं, बताया गया कि उसके बचपन में ही पिता ने परिवार को छोड़ दिया था। ऐसे में भी उस बच्चे ने हार नहीं मानी और आशावादी रहते हुए पढ़ाई की और आज उसकी गिनती मेधावियों में की जाती है। हाईस्कूल के छात्र का मन चार्टर्ड एकाउंटेंट या सिविल सेवाओं में शामिल होने का है।
- उसी सरकारी स्कूल में हाईस्कूल का एक छात्र ऐसा भी हैए जिसके पिता मिल्क फैक्ट्री में काम करते हैं और उसकी मां गृहिणी हैं। कम संसाधनों के बावजूद पढ़ाई में वह बेहतर प्रदर्शन करता है और एनडीए में शामिल होने की इच्छा रखता है।
- एक छात्र ने बताया है कि उसके सबसे अच्छे दोस्त उसके शिक्षक है, क्योंकि वे (छात्र) उनके साथ सब कुछ बिना डरे शेयर कर सकते हैं। मिज़ोरम में सभी स्कूल टीचर्स रोज छात्रों से तो मिलते ही हैं साथ ही उनके पैरेंट्स से भी मिलते हैं ताकि बच्चों के समस्याओं का समाधान किया जा सके।
रोजगार के लिए किया जाता है प्रोत्साहित
प्राइवेट स्कूल की एक टीचर बताती हैं कि ‘मिज़ोरम में माता पिता बच्चों पर पढ़ाई का ज्यादा बोझ नहीं डालते हैं। यहां किसी भी कार्य को छोटा या बड़ा समझे बिना युवाओं को भी 16 या 17 साल की उम्र तक रोजगार मिल जाता है।’ सबसे खास बात ये है कि मिजो समुदाय का कोई भी बच्चा बिना किसी हिचकिचाहट के जल्दी कमाई करना शुरू कर देता है। रिपोर्ट बताती है कि मिज़ोरम में कई ऐसे परिवार हैं जो टूटे हुए हैंए ऐसे में यहां पर सभी स्वावलंबी बनने में यकीन रखते हैं।
Average Rating