‘SGPC ने खालिस्तानी आतंकियों के लिए खर्च किए करोड़ों, शहीद सिख सैनिकों के बच्चों के लिए चबन्नी भी नहीं’।जम्मू-कश्मीर के पुंछ में आतंकी हमले में पंजाब के चार सैनिकों के शहीद होने पर कांग्रेस नेता रवनीत सिंह बिट्टू ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के प्रमुख और अकाल तख्त जत्थेदार की चुप्पी पर सवाल उठाया है।
बिट्टू ने शीर्ष सिख प्रतिनिधि निकायों के दो प्रतिनिधियों पर निशाना साधते हुए कहा कि वे भगोड़े खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह और उनके सहयोगियों जैसे “असामाजिक तत्वों का समर्थन और बचाव करने के लिए” हमेशा सबसे आगे रहते हैं, लेकिन उन्हें शहीद परिवार की चीखें नहीं सुनाई देतीं।
बिट्टू ने पूछा- क्या आपको शर्म नहीं आती?
लुधियाना के सांसद बिट्टू ने पूछा, ‘यह भेदभाव क्यों? क्या वो सैनिक सिख समुदाय से नहीं थे? SGPC खुद को “सिखों की संसद” कहती है, तो क्या वो सैनिक सिख नहीं थे? शहीद सैनिकों के छोटे-छोटे बच्चों की चीखें तुम्हें सुनाई नहीं देतीं? आपको देश की रक्षा करने वालों के परिवारों के लिए कोई दर्द नहीं होता है, लेकिन केवल उन लोगों के लिए जो इसे तोड़ने की कोशिश करते हैं? तीन दिन हो गए, लेकिन न तो एसजीपीसी के अध्यक्ष और न ही अकाल तख्त के जत्थेदार ने पुंछ में शहीद हुए जवानों के लिए एक शब्द भी संवेदना व्यक्त नहीं की है। क्या आपको शर्म नहीं आती?”
रवनीत सिंह बिट्टू पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते हैं। बेअंत सिंह की खालिस्तान समर्थक आतंकवादियों द्वारा हत्या कर दी गई थी। बिट्टू ने कहा, ‘एसजीपीसी, जो लोगों के पैसे और दान से चलती है। वो खालिस्तानी आतंकवादियों के लिए वकीलों को नियुक्त करने पर करोड़ों रुपये खर्च करती है। जैसा कि अमृतपाल का सपोर्ट कर रही है। बिट्टू ने कहा कि देश की सीमाओं पर शहीद सैनिकों के बच्चों की शिक्षा और कल्याण के लिए उनके पास पैसा नहीं है।’
बिट्टू की टिप्पणी उस दिन आई जब चार सैनिकों- चाणकोइयां गांव के हवलदार मनदीप सिंह, चरिक गांव के लांस नायक कुलवंत सिंह, तलवंडी गांव के सिपाही हरकिशन सिंह और बाघा गांव के सिपाही सेवक सिंह का सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के पुंछ में अज्ञात आतंकवादियों द्वारा उनके वाहन पर हमला करने और ग्रेनेड के संभावित उपयोग के कारण आग लगने के बाद पांच सैनिक शहीद हो गए थे। हमले में शहीद हुआ पांचवां जवान ओडिशा का रहने वाला था।
बिट्टू ने कहा कि पंजाब का एक भी गांव ऐसा नहीं है, जिसने अपने बेटों को सीमा पर नहीं भेजा हो। सिख परिवारों की पीढ़ियों ने सेना में सेवा की है और अपने प्राणों की आहुति दी है। कांग्रेस नेता ने पूछा, ‘सरकारें उनके परिवारों के लिए जो कुछ भी कर सकती हैं करती रहेंगी, लेकिन एसजीपीसी ने उनके लिए क्या किया? क्या एसजीपीसी के अध्यक्ष या अकाल तख्त के जत्थेदार ने कभी शहीद सैनिकों की तस्वीरों को एक संग्रहालय में रखने की पेशकश की है, जैसा कि वे आतंकवादियों के लिए करते हैं।’ कांग्रेस नेता ने कहा कि देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले सैनिकों के शौर्य के कारण ही देशवासी सुरक्षित रह रहे हैं।
लुधियाना सांसद ने कहा, ‘जब अमृतपाल की पत्नी को हवाई अड्डे पर रोका गया तो SGPC अध्यक्ष और अकाल तख्त जत्थेदार सहानुभूति दिखाई। एसजीपीसी ने उन राष्ट्र विरोधी तत्वों के लिए अधिवक्ताओं की एक फौज की व्यवस्था की, जिन्हें डिब्रूगढ़ जेल ले जाया गया है, लेकिन उनके पास सिख सैनिकों के परिवारों के लिए देने के लिए कुछ भी नहीं है।’
किरणदीप कौर को एयरपोर्ट पर रोके जाने पर जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने जताया था विरोध
इमिग्रेशन अधिकारियों ने गुरुवार को अमृतपाल की पत्नी किरणदीप कौर को यूके जाने वाली फ्लाइट में चढ़ने से रोक दिया था और उनसे पूछताछ की थी। जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने इस कदम को “किसी भी एंगल से सही नहीं” करार दिया था, जबकि एसजीपीसी प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी ने पंजाब सरकार और पुलिस प्रशासन पर युवाओं में आतंक का माहौल पैदा करने का आरोप लगाया था।
बिट्टू ने दोनों से पूछा कि शहीद सिख सैनिकों की तस्वीरों को सिख संग्रहालय में जगह क्यों नहीं मिलती। “आप आतंकवादियों, देशद्रोहियों का सम्मान करेंगे, लेकिन सैनिकों का नहीं। क्या वे सिख नहीं हैं, पंजाब से नहीं हैं? तुम्हें उनकी पगड़ी दिखाई नहीं देती?” उन्होंने कहा, “पंजाब और इस देश के असली नायक वे हैं जो शहीद गए हैं, न कि वे जिन्हें डिब्रूगढ़ ले जाया गया है,” बिट्टू ने यह बात अमृतपाल और उनके सहयोगियों को लेकर कही। जो कड़े राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत आरोप लगाए जाने के बाद असम जेल में बंद हैं।
By जनसत्ता
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