केमिकल्स और खाद के बगैर बढ़ाई पैदावार, फसल के दाम भी चोखे

Read Time:4 Minute, 54 Second

हमीरपुर 25 अप्रैल। खतरनाक रसायनों से युक्त महंगे कीटनाशकों और खाद का अत्यधिक प्रयोग करके जमीन एवं फसलों में जहर घोलने के बजाय भारत की पारंपरिक प्राकृतिक खेती से भी अच्छी पैदावार हासिल की जा सकती है। प्राकृतिक खेती से तैयार फसलें जहां खतरनाक रसायनों से पूरी तरह मुक्त होती हैं, वहीं बाजार में इन्हें अच्छे दाम भी मिलते हैं। इसलिए, प्रदेश सरकार बड़े पैमाने पर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है। प्रदेश सरकार के प्रोत्साहन और अनुदान से हिमाचल में अब बड़ी संख्या में किसान प्राकृतिक खेती अपना रहे हैं और इसमें लगभग शून्य लागत के साथ अच्छी पैदावार ले रहे हैं। इन्हीं किसानों में से एक हैं हमीरपुर के निकटवर्ती गांव समराला के मुनीष कुमार।
शारीरिक शिक्षा अध्यापक का डिप्लोमा प्राप्त और अब पूरी तरह खेती को समर्पित मुनीष कुमार का परिवार अपने पूर्वजों की तरह ही पुश्तैनी जमीन पर खेती-बाड़ी कर रहा था। पिछले कुछ दशकों से उनके खेतों में रासायनिक खाद तथा कीटनाशकों का प्रयोग काफी बढ़ गया था, जिससे खेती की लागत लगातार बढ़ रही थी और उनकी फसलें एवं जमीन भी जहरीली होती जा रही थी। रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों के प्रयोग से परिवार के सदस्यों को गंभीर बीमारियों का अंदेशा भी बना रहता था।
इसी बीच, कृषि विभाग के अधिकारियों ने मुनीष कुमार को प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए प्रेरित एवं प्रोत्साहित किया। कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण (आतमा) के माध्यम से संचालित की जा रही ‘प्राकृतिक खेती, खुशहाल किसान’ योजना के तहत मुनीष कुमार को देसी गाय खरीदने के लिए 25 हजार रुपये, गौशाला के फर्श को पक्का करने के लिए 8 हजार रुपये और संसाधन भंडार के लिए 10 हजार रुपये का अनुदान मिला। घर पर ही उपलब्ध सामग्री से जीवामृत, धनजीवामृत, दसपरणी अर्क, अग्रिअस्त्र, ब्रह्मास्त्र, सौंठअस्त्र और अन्य जैविक कीटनाशक एवं खाद तैयार करने के लिए ड्रम इत्यादि के लिए भी मुनीष कुमार को अनुदान दिया गया।
आतमा परियोजना के तहत अनुदान मिलने के बाद मुनीष कुमार ने अपने खेतों में रासायनिक खाद और केमिकलयुक्त कीटनाशकों का प्रयोग बंद कर दिया और घर पर ही जीवामृत, घनजीवामृत खाद एवं कीटनाशक तैयार करने लगे। घर में ही तैयार खाद और कीटनाशकों के प्रयोग से मुनीष कुमार का खेती पर सालाना खर्चा 20 से 25 हजार रुपये तक कम हो गया। पैदावार अच्छी होने लगी और फसल को अच्छे दाम भी मिलने लगे।
अब तो उसका पूरा परिवार प्राकृतिक खेती में ही व्यस्त हो गया है। इससे उन्हें सालाना 6 से 7 लाख रुपये तक की आमदनी हो रही है। वह सब्जियों के अलावा पनीरी से भी अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं। उन्होंने फसल और पनीरी बेचने के लिए अपनी गाड़ी भी खरीद ली है। अभी जाहू में आयोजित मेवा उत्सव के दौरान मुनीष ने विभिन्न सब्जियों, पनीरी और प्राकृतिक खेती से संबंधित सामग्री की प्रदर्शनी लगाई है, जिसमें लोगों की भारी भीड़ उमड़ रही है।
उधर, आतमा परियोजना हमीरपुर की परियोजना निदेशक डॉ. नीति सोनी ने बताया कि जिला के किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर प्रोत्साहित करने के लिए जागरुकता शिविर आयोजित किए जा रहे हैं तथा उन्हें घर पर ही उपलब्ध सामग्री से खाद एवं कीटनाशक तैयार करने के लिए अनुदान दिया जा रहा है।

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Previous post पालतू कुत्तों का नगर पालिका में करवाए पंजीकरण
Next post प्रभावी कचरा प्रबंधन के लिए उठाए जाएं आवश्यक कदम ——उपायुक्त अपूर्व देवगन
error: Content is protected !!