Read Time:4 Minute, 34 Second
मैंने 42 साल तक कांग्रेस को अपने ख़ून पसीने से सींचा। सेवादल में तब आया जब 4 लोग इकट्ठे करना मुश्किल हुआ करता था। अपना घर बार ज़मीन बेच कर सेवादल चलाया। लोग कह रहे हैं मंत्री बनना चाहता था। अरे मैं तो अपने बड़सर परिवार के एक चपरासी की ट्रांसफर करवाने के लिए भी घंटों सचिवालय में जूझता रहता था। मैं मंत्री बनने की कब सोचता ? मुख्यमंत्री महोदय को कई बार कहा, सर हमारे कार्यकर्ता बेहद नाराज़ हैं। उनके छोटे छोटे काम भी नहीं हो रहे। लेकिन साहब के कान पर जूँ तक नहीं रेंगी। मेरे कार्यकर्त्ता बार बार कहते , साहब आपसे ज़्यदा काम तो प्रधान और बी डी सी करवा रहे हैं। क्या इज़्ज़त की गयी मेरी ?
मुझे कहा गया कि सिंघवी जी को राज्य सभा के लिए वोट करिये। मैंने सभी से कहा कि प्रदेश के ही किसी व्यक्ति को राज्य सभा भेजा जाना चाहिए। तो मुझे कहा कि आपसे पूछ नहीं रहे, आपको बता रहे हैं।
ठीक है, मेरा सम्मान भी मत करिये, लेकिन जो कार्यकर्त्ता 5 साल लाठी खाकर काम करते रहे , उनके साथ क्या व्यवहार हुआ ये भी सबने देखा। मैंने कई खून के घूंट पिए। मेरे विधानसभा क्षेत्र में भोटा की PHC क़ो स्तरोन्नत करने की बात हुई थी। ये हास्यास्पद ही है कि इसे स्तरोन्नत तो क्या करना, इसका दर्जा ही घटा दिया गया। आपातकालीन सेवाएं बंद कर दी गयीं। बड़सर में बस अड्डा बनाने के लिए मैंने मुख्यमंत्री जी को सरकार बनने के पहले दिन कह दिया था। हमारी फाइल को आज तक आगे नहीं बढ़ाया गया। मैं साहब के पास कई बार गया , लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। बड़सर अस्पताल में चरमरा रही स्वास्थ्य व्यव्स्था की शिकायत मुख्यमंत्री जी से की तो साहब ने कहा कि मैंने स्वास्थ्य सचिव को बोल दिया है। इसके उपरांत जब कई बार स्वास्थ्य सचिव को फ़ोन किया तो उन्होंने कभी मेरा फ़ोन तक नहीं उठाया। इसे आप सम्मान कहते हैं ? मेरे क्षेत्र से परिवहन की बसों के रूट बदल दिए गए। कई रूट बंद कर दिए गए। कई बार मंत्री जी से बात की , कई बार मुख्यमंत्री जी से मिला , लेकिन कभी समाधान नहीं किया गया। आप भी जानते हैं कि बड़सर में पेयजल संकट कितना ज़्यादा है। गर्मियां आते ही लोगों को टैंकर से पानी भेजना पड़ता है। मैंने 137 करोड़ की वाटर सप्लाई स्कीम 3 साल लगा कर स्वीकृत करवाई। अपनी सरकार आई तो लगा के अब ये काम हो जाएगा , लेकिन इस स्कीम को भी मुख्यमंत्री जी के स्वयं शिलान्यास करने के बाद भी रोक दिया गया।
हर बार मुझे प्रताड़ित किया गया। मैंने हाईकमान को कई बार बताने की कोशिश की , लेकिन हमारी हाईकमान 5 सितारा होटल से कभी बाहर ही नहीं आ पाई। अपने 42 साल के राजनीतिक सफर में मैंने इतना हताश कभी महसूस नहीं किया। लेकिन एक बात का सुकून है , कि अपने ही प्रदेश के आदमी को वोट दिया। बड़सर के हितों को ध्यान में रखते हुए , बड़सर की जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए मैंने अपना वोट दिया। मैं जब जब लड़ा अपने सर्वस्व के साथ लड़ा। आगे भी अपने सर्वस्व के साथ लडूंगा। मैंने अपने आप को सदा नीचे रखा लेकिन मेरे आत्मसम्मान को इतना छोटा समझने वालों को भी अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। हमें निष्काषित कर दिया गया है , अब आगे की रणनीति हम मिलकर बनाएंगे।
Average Rating