गहलोत के बाद सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाए जाने के हाईकमान के संभावित फैसले पर बवाल खड़ा हो गया है। अशोक गहलोत गुट के सभी विधायकों ने इस्तीफे का ऐलान कर दिया है।
गहलोत के इस रूख से पार्टी हाईकमान बेहद हैरान है। सूत्रों के मुताबिक, अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के कहने पर के.सी वेणुगोपाल ने गहलोत को फोन किया है और उनसे पूछा गया कि जयपुर में क्या चल रहा है।बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री ने हाथ खड़े कर दिए और कहा कि उनके बस में कुछ नहीं है। उन्होंने कहा है कि यह विधायकों का निजी फैसला है और इसमें उनका कोई हाथ नहीं। इसके बाद वेणुगोपाल ने खड़गे से भी बात की है।
आलाकमान ने पूरे मामले को सुलझाने को कहा है। हर विधायक से बात करके रात में ही हल निकालने को कहा गया है। दिल्ली से भेजे गए पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन की मौजूदगी में रविवार शाम गहलोत के आवास पर विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी।
बताया जा रहा है कि विधायकों को इसमें एक प्रस्ताव पास करने को कहा जाने वाला था कि नए मुख्यमंत्री के चुनाव के लिए हाईकमान को अधिकृत किया जाता है। गहलोत गुट को इस बात की आशंका है कि हाईकमान सचिन पायलट को सत्ता सौंपने जा रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच कड़वाट किसी से छिपी नहीं है। 2018 की बगावत के बाद से ही गहलोत को पायलट खटकते रहे हैं।
गहलोत गुट ने दिखाई ताकत
गहलोत गुट के इस दांव को राजनीतिक पंडित भी हैरानी से देख रहे हैं। इसे इस रूप में भी देखा जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष बनने से पहले ही गहलोत ने गांधी परिवार को अपनी ताकत दिखा दी है। सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने सचिन पायलट से 2020 में किया वादा निभाने का फैसला कर लिया था।
2018 में कांग्रेस को राजस्थान की सत्ता में लाने में अहम भूमिका निभाने वाले पायलट को मुख्यमंत्री बनाए जाने की प्रबल संभावना थी। लेकिन गहलोत को पायलट मंजूर नहीं हैं। यह तो पहले से संभावना थी कि गहलोत पायलट की जगह अपने किसी और करीबी को कुर्सी सौंपना चाहेंगे। लेकिन इस तरह विधायक इस्तीफा देंगे, यह कल्पना किसी ने नहीं की थी।
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