धर्मशाला, 20 अगस्त। उपायुक्त हेमराज बैरवा ने कहा कि आपदा प्रबंधन में आम जनमानस की भागीदारी अत्यंत जरूरी है। उन्होंने कहा कि जब तक आपदा प्रबंधन को गांव और परिवार के स्तर पर नहीं अपनाएंगे, तब तक पूर्ण रूप से आपदाओं के जोखिम को कम नहीं किया जा सकता।
मंगलवार को मिनी सचिवालय में आपदा प्रबंधन को लेकर तीन दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए उपायुक्त हेमराज बैरवा ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से हिमालय की श्रृंखला में बसे राज्यों में पर्यावरण बदलाव के असर को महसूस किया जा रहा है। साल 2023 में अत्यधिक वर्षा के कारण न सिर्फ जिला कांगड़ा को बल्कि पूरे राज्य को एक अप्रत्याशित आपदा का सामना करना पड़ा, जिसमें हजारों घरों को नुकसान पहुंचा और कई लोगों को जान से हाथ गंवाना पड़ा। इस वर्ष भी बादल फटने के कारण राज्य के कई हिस्सों में जान माल का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि जिला कांगड़ा न सिर्फ पर्यावरण संबंधी आपदाओं के लिए संवेदनशील है, बल्कि भूकंप के लिए भी अत्यधिक संवेदनशील है।
उन्होंने बताया कि इस तरह की आपदाओं से बचने के लिए पूर्व तैयारी ही एक मात्र उपाय है। जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण निरंतर विभिन्न स्तरों पर क्षमता निर्माण का कार्य कर रहा है।
इससे पहले जिला आपदा प्रबंधन के समन्वयक भानु ने मुख्यातिथि का स्वागत करते हुए कहा कि कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य विभिन्न विभागों और महाविद्यालयों की आपदा जोखिम न्यूनीकरण की क्षमताओं को बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि कार्यशाला के पहले दिन आपदा प्रबंधन के मूल सिद्धांतों के अलावा पर्यावरण बदलाव के कारण बढ़ती आपदाओं, और आपदा प्रबंधन में तकनीक के उपयोग पर चर्चा की गई इसके अलावा प्रशिक्षण में नवनीत यादव स्रोत व्यक्ति के रूप में प्रतिभागियों से जानकारी साझा करेंगे। जिला आपदा प्रबंधन की तरफ से श्री भानु शर्मा भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
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