Rajasthan: अध्यक्ष की रेस से बाहर हुए अशोक गहलोत के पास बचे ये 4 विकल्प, जानें आगे क्या करेंगे राजस्थान के CM।सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने साफ कर दिया कि अब वो कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ेंगे। 10 जनपथ से बाहर निकलने के बाद गहलोत काफी मायूस दिखे। उन्होंने राजस्थान में हुए घटनाक्रम पर करीब डेढ़ घंटे तक सोनिया गांधी के सामने सफाई पेश की। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गहलोत हर मुद्दे को एक सादे कागज पर नोट करके कांग्रेस अध्यक्षा से मिलने पहुंचे थे।
मुलाकात के बाद बाहर निकलने पर गहलोत ने मीडिया से बातचीत की। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस अध्यक्ष के साथ बैठकर मैंने बात की है। मैंने हमेशा वफादार सिपाही के रूप में काम किया है। विधायक दल की बैठक के दिन हुई घटना ने सबको हिलाकर रख दिया। ऐसा लगा जैसे कि मैं मुख्यमंत्री बना रहना चाहता हूं, इसलिए मैंने उनसे माफी मांगी है।’
गहलोत ने आगे कहा, ‘हमारे यहां हमेशा से परंपरा रही है कि हम आलाकमान के लिए एक लाइन का प्रस्ताव पास करते हैं। मुख्यमंत्री होने के बावजूद मैं यह एक लाइन का प्रस्ताव पास नहीं करवा पाया, इस बात का दुख रहेगा। इस घटना ने देश के अंदर कई तरह के मैसेज दे दिए।’
ऐसे में अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर अशोक गहलोत के पास आगे क्या विकल्प बचा है? राजस्थान के सियासत में आगे क्या होगा? आइए समझते हैं…
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गहलोत के लिए आगे की क्या संभावना है?
इसे समझने के लिए हमने वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद कुमार सिंह से बात की। उन्होंने कहा, ‘अशोक गहलोत को अब ये मालूम चल गया है कि राजस्थान में जो कुछ हुआ, उससे उनकी राजनीतिक छवि और पार्टी के अंदर कद भी घटा है। ऐसे में गहलोत अब इसके डैमेज कंट्रोल की कोशिश करेंगे।’ गहलोत के पास अभी चार विकल्प बचे हैं…
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1. इस्तीफा देकर सचिन पायलट का समर्थन करें : सोनिया गांधी से मिलने के बाद अशोक गहलोत ने जिस तरह से बयान दिया, उससे साफ है कि राजस्थान में अब कुछ बड़ा हो सकता है। संभव है कि अशोक गहलोत मुख्यमंत्री पद खुद ही छोड़ दें और सचिन पायलट का समर्थन कर दें। पायलट को मुख्यमंत्री बनवाकर वह अपने करीबी विधायक को उप-मुख्यमंत्री बनवा सकते हैं। इसके अलावा पायलट और खुद के विवाद को भी खत्म करने की कोशिश कर सकते हैं। दोनों पक्षों को साथ लेकर बैठक करके सारे मतभेद दूर करने की कोशिश कर सकते हैं।
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2.संगठन में जिम्मेदारी निभा सकते हैं : मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद गहलोत वापस संगठन में आ सकते हैं। संभव है कि गहलोत की गलतियों को माफ करके कांग्रेस हाईकमान उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बना दे। इससे दोनों खेमे के विधायक भी शांत हो जाएंगे।
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3. गहलोत को सीएम बने रहने दिया जाए : मौजूदा समय कांग्रेस के विधायक दो गुटों में बंट गए हैं। अगर गहलोत के कहने के बाद भी विधायक नहीं मानें तो ऐसी स्थिति में संभव है कि अशोक गहलोत को सीएम बने रहने दिया जाए। उनकी जिम्मेदारी भी तय हो जाए और सचिन पायलट को केंद्र की राजनीति में बुला लिया जाए।
http://dhunt.in/Cp8HV?s=a&uu=0x5f088b84e733753e&ss=pd Source : “अमर उजाला”
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