यूक्रेन अमेरिका के साथ खनिज संसाधन समझौते को अंतिम रूप देने के लिए तैयार

यूक्रेन के प्रधानमंत्री डेनिस शमिहाल ने कहा है कि कीव अमेरिका के साथ एक बहुप्रतीक्षित समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार है, जिसमें यूक्रेन के खनिज संसाधनों के विकास पर सहयोग शामिल है। इस समझौते के तहत अमेरिका को यूक्रेन में स्थित लिथियम और कोबाल्ट जैसे महत्वपूर्ण खनिजों तक पहुंच प्राप्त होगी, जो इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी और सैन्य उपकरणों में उपयोग किए जाते हैं।

शमिहाल ने इस सहयोग पर जोर देते हुए कहा, “हम अमेरिका के साथ इस समझौते को कभी भी शुरू करने के लिए तैयार हैं।”

अमेरिका-यूक्रेन संबंधों में बढ़ती जटिलता

यह समझौता ऐसे समय में प्रस्तावित किया जा रहा है जब यूक्रेन और अमेरिका के संबंधों में कुछ तनाव देखा जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य सहायता को निलंबित कर दिया था, जिससे यूरोपीय सहयोगियों और यूक्रेनी अधिकारियों के बीच चिंता बढ़ गई है।

शमिहाल ने आश्वासन दिया कि “यूक्रेनी सेना अपनी रक्षा स्थिति को बनाए रखने में सक्षम है, भले ही अमेरिकी सहायता में कटौती हुई हो।” उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका और यूरोपीय देशों से सुरक्षा गारंटी प्राप्त करना यूक्रेन और पूरे यूरोप के लिए “अत्यंत आवश्यक” है।

समझौते में हुए संशोधन

प्रस्तावित खनिज समझौते में कई संशोधन किए गए हैं। पहले, अमेरिका यूक्रेन के खनिज दोहन से $500 बिलियन (50 खरब डॉलर) के राजस्व का हिस्सा चाहता था, लेकिन अब इस शर्त को हटा दिया गया है, जिससे समझौते को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण बना है।

यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने इस समझौते पर हस्ताक्षर करने की इच्छा व्यक्त की है, और ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि यह सौदा इस सप्ताह के अंत तक अंतिम रूप ले सकता है।

समझौते का रणनीतिक महत्व

यूक्रेन के खनिज भंडार की वैश्विक रणनीतिकता को देखते हुए अमेरिका इस समझौते को बेहद महत्वपूर्ण मान रहा है। वर्तमान में चीन सहित कुछ देशों का इन दुर्लभ खनिजों के बाजार पर प्रभुत्व है। अमेरिका इस समझौते के जरिए अपने खनिज स्रोतों को विविधता प्रदान करना चाहता है।

संभावित बाधाएं

हालांकि, इस समझौते को अंतिम रूप देने में कुछ अड़चनें भी सामने आई हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने सुरक्षा गारंटी और पुनर्निर्माण योजनाओं को लेकर कुछ आपत्तियां जताई हैं। इन मुद्दों को हल करने के लिए दोनों पक्षों के बीच अभी भी बातचीत जारी है।

निष्कर्ष

जैसे-जैसे यह वार्ता आगे बढ़ रही है, पूरी दुनिया इसकी निगरानी कर रही है, क्योंकि यह समझौता वैश्विक खनिज आपूर्ति श्रृंखला और पूर्वी यूरोप की भू-राजनीतिक स्थिति को प्रभावित कर सकता है।

अस्वीकरण: यह लेख 4 मार्च 2025 तक उपलब्ध जानकारी के आधार पर लिखा गया है। नवीनतम अपडेट के लिए आधिकारिक स्रोतों और प्रतिष्ठित समाचार संगठनों से जानकारी प्राप्त करें।

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