धर्मशाला, 20 मार्च। एचआईवी एड्स और टीबी के खात्मे के लिए हर संभावित व्यक्ति को जांच के लिए प्रेरित करना और संक्रमित पाए जाने पर सही समय पर उनका उपचार शुरु हो, इसके लिए जिले के अधिकारियों को अधिक सक्रियता से काम करना चाहिए। लघु सचिवालय धर्मशाला के कैबिनेट हॉल में आज बृहस्पतिवार को जिले के आईएएस, एचपीएएस और एचपीपीएस अधिकारियों के लिए एचआईवी/एड्स रोकथाम, कलंक और भेदभाव, एचआईवी/एड्स (रोकथाम और नियंत्रण अधिनियम) 2017 और टीबी मुक्त भारत पर आयोजित कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए उपायुक्त हेमराज बैरवा ने यह बात कही। उन्होंने कहा, चूंकि एचआईवी कई सामाजिक-आर्थिक कारकों से प्रेरित है, इसलिए इसके कारण और परिणामों को बताने के लिए केवल स्वास्थ्य हस्तक्षेप ही पर्याप्त नहीं हैं।
उपायुक्त ने कहा कि इसे मुख्यधारा में लाने की आवश्यकता है, साथ ही यह सुनिश्चित हो कि गैर-स्वास्थ्य क्षेत्र के अधिकारी भी एचआईवी और टीबी की रोकथाम और लोगों को इसके प्रति जागरूक करने में अपनी महती भूमिका निभाएं। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे अपने काम के कारण अपने कार्यक्षेत्र में प्रभावी भूमिका रखते हैं और क्षेत्र के लोग उनके किए गए कार्यों और विचारों को बहुत गंभीरता से लेते हैं। इसलिए अधिकारी अपने-अपने क्षेत्रों में एचआईवी/एड्स और टीबी को लेकर असुरक्षित लोगों की पहचान कर उन्हें जांच के लिए प्रेरित करें। डीसी ने कहा कि टीबी के खिलाफ जंग में हम जीत के बहुत करीब हैं इसलिए इन अंतिम क्षणों में अपनी सक्रियता को बढ़ाकर अधिक जोर लगाने की आवश्यकता है।
हेमराज बैरवा ने एचआईवी/एड्स और टीबी के संदर्भ में कहा कि सही समय में जांच ही सबका बचाव है। उन्होंने कहा कि रोगी के स्वास्थ्य का बिगड़ना और अन्य लोगों को संक्रमण का खतरा तब तक ही है जब तक जांच नही हो जाती। एक बार उपचार शुरु होने के बाद टीबी के संक्रमण की संभावना न के बराबर रह जाती है। उन्होंने कहा कि संक्रमित पाए जाने पर यदि इलाज सही समय में शुरु हो जाता है तो वे लोग स्वस्थ हो सकते हैं, लेकिन यदि पूर्वाग्रहों और संकोच के चलते कोई संभावित व्यक्ति जांच नहीं करवाता तो वे अपने साथ अन्य लोगों की जान भी खतरे में डाल रहा है।
आईसीटीसी केंद्रों में मुफ्त की जाती है जांच: सीएमओ
कार्यशाला की शुरुआत करते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजेश गुलेरी ने कार्यशाला के लक्ष्यों के बारे सबको अवगत करवाया। डॉ. गुलेरी ने बताया कि एचआईवी की जांच आईसीटीसी केंद्रों में मुफ्त की जाती है और जांच करवाने वाले व्यक्ति की रिपोर्ट और पहचान गोपनीय रखी जाती है। गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के पहले तीन महीने में एचआईवी जांच करवानी चाहिए ताकि यदि महिला एचआईवी पॉजिटिव हो, तो उसके बच्चे को एचआईवी से बचाया जा सके।
टोल फ्री न. पर कॉल कर ले सकते हैं सहायता
बकौल सीएमओ, एचआईवी/एड्स के लिए सरकार द्वारा निशुल्क हेल्पलाइन न. 1097, टीबी के लिए 1800116666 पर कभी भी संपर्क किया जा सकता है। इसके अलावा किसी प्रकार की मनोवैज्ञानिक परेशानी या अवसाद जैसी स्थिति में भारत सरकार के टेली मानस वेब पोर्टल, मोबाइल ऐप या उनके टोल फ्री नं. 14416 व 18008914416 पर संपर्क कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि टेली मानस में प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिक सहायता के लिए हमेशा उपलब्ध रहते हैं। इसके अलावा एचआईवी/एड्स (प्रिवेंशन एवं कंट्रोल) एक्ट 2017 के तहत एचआईवी/एड्स संबंधित भेदभाव की शिकायत की जा सकती है।
विशेषज्ञों ने किया जिज्ञासाओं का समाधान
कार्यशाला में राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन के क्षेत्रीय समन्वयक विशाल आचार्य ने एचआईवी/एड्स रोकथाम, कलंक और भेदभाव, एचआईवी/एड्स (रोकथाम और नियंत्रण अधिनियम), 2017 और एचआईवी/एड्स बारे विस्तृत जानकारी साझा की। वहीं जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राजेश सूद ने टीबी संबंधित विषय पर प्रकाश डाला। कार्यशाला में जिले के अधिकारियों ने अपने महत्वपूर्ण सुझाव दिए। साथ ही विशेषज्ञों ने उनकी जिज्ञासाओं का समाधान भी किया।
आयुक्त नगर निगम ने किया समापन
कार्यशाला का समापन करते हुए आयुक्त नगर निगम धर्मशाला जफर इकबाल ने कहा कि समाज में आज भी एचआईवी/एड्स और टीबी को लेकर बहुत सी भ्रांतियों हैं। उन्होंने कहा कि इन बीमारियों से लड़ने के लिए लोग अपने पूर्वाग्रहों को छोड़कर समय से जांच करवाएं और सही उपचार विधि को अपनाएं इसके लिए जनजागरण की बेहद आवश्यकता है। कार्यशाला में एडीसी कांगड़ा विनय कुमार, एएसपी हितेश लखनपाल, सहायक आयुक्त सुभाष गौतम, सहित जिले के सभी एसडीएम उपस्थित रहे।