संघ को भी होने लगी है अब गरीबों और बेरोजगारी की चिंता, गडकरी के बाद अब होसबोले ने भी चेताया

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संघ को भी होने लगी है अब गरीबों और बेरोजगारी की चिंता, गडकरी के बाद अब होसबोले ने भी चेताया।देश के ताजा हालात को लेकर अब न सिर्फ विपक्ष बल्कि मोदी सरकार के मंत्री और उनके सहयोगी कहे जाने वाले लोग भी सवाल उठाने लगे हैं। कांग्रेस और राहुल गांधी इन मुद्दों को कई सालों से उठा रहे हैं, पर यह मुद्दा मीडिया के लिए अब तक चर्चा का विषय नहीं बना है।गरीबी, बेरोजागरी को लेकर न तो न्यूज चैनल में चर्चा की जाती है और न ही अखबारों की सुर्खियों मे इनके लिए जगह है। शायद यही वजह है कि मोदी सरकार के लिए ये मुद्दे मायने नहीं रखते? लेकिन अब सरकार में शामिल लोग और उनके सहयोगी भी गरीबी, बेरोजगारी और अमीर-गरीब के बीच लगातार बढ़ती खाई को लेकर अपनी खामोशी तोड़ रहे हैं।

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केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दतात्रेय होसबले ने भी देश में गरीबी, बेरोजगारी और अमीर-गरीब के बीच लगातार बढ़ती जा रही आय की असमानता को राक्षस जैसी चुनौती बताते हुए इस हालात पर चिंता जताई है। दतात्रेय होसबोले ने कहा कि, पिछले 75 वर्षों में भारत ने कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है लेकिन देश में गरीबों की संख्या, बेरोजगारी की दर और आय की असमानता अभी भी राक्षसों की तरह चुनौती बनी हुई है और इसे खत्म करना बहुत जरूरी है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच द्वारा स्वावलंबी भारत अभियान के अंतर्गत रविवार को आयोजित वेबिनार कार्यक्रम ‘स्वावलंबन का शंखनाद में बोलते हुए दतात्रेय होसबले ने कहा कि कि देश में आज भी 20 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे है। देश के 23 करोड़ लोगों की प्रतिव्यक्ति आय 375 रुपये से भी कम है। उन्होंने आगे कहा कि, देश में बेरोजगारी की दर 7.6 प्रतिशत है और चार करोड़ लोग बेरोजगार है। देश के ग्रामीण और शहरी, दोनों क्षेत्रों में बेरोजगारी की स्थिति को चिंताजनक बताते हुए संघ के वरिष्ठ नेता ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में 2.2 करोड़ लोग बेरोजगार हैं जबकि शहरी क्षेत्रों में 1.8 करोड़ लोग बेरोजगार हैं।

होसबोले ने कहा कि भले भारत विश्व की छह बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देशों में से एक हो गया है लेकिन देश में लगातार बढ़ रही आर्थिक असमानता आज भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। उन्होंने कहा कि देश के एक प्रतिशत अमीर लोगों की आय देश के सभी लोगों की आय का 20 प्रतिशत है जबकि देश की आधी आबादी (50 प्रतिशत) के हिस्से में कुल आय का सिर्फ 13 प्रतिशत हिस्सा ही आता है।

आरएसएस नेता ने कहा कि आत्मनिर्भर और स्वावलंबी भारत के लिए कई मोचरे पर काम करना होगा। युवा पीढ़ी को भी नौकरी ढूंढने की बजाय स्वरोजगार का रास्ता अपना कर नौकरी देनेवाला बनना होगा। समाज के अंदर श्रम के प्रति सम्मान की भावना जगाने और लोगों की मानसिकता को भी बदलने की जरूरत है। भारत को समृद्धशाली देश बनाने के लिए सभी को मिलकर कई मोचरें पर एक साथ काम करना होगा।

http://dhunt.in/CFngI?s=a&uu=0x5f088b84e733753e&ss=pd Source : “नवजीवन”

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