1738 का दौर था. मुगल साम्राज्य की बागडोर मोहम्मद शाह रंगीला के हाथों में थी. दिल्ली हिन्दुस्तान का सबसे महशूर और खूबसूरत शहर बन चुका था.शाही दरबार में कला और साहित्य को बढ़ावा मिल रहा था. लिबास और पकवानों पर प्रयोग करके उसे बेहतर बनाने की कोशिशें जारी थीं. विशाल इमारतें और दूर तक दिखने वाले बाजार अपने दौर की कहानी कह रहे थे. धार्मिक स्थलों की संख्या बढ़ रही थी.
दिल्ली की शोहरत बढ़ती जा रही थी. इसी शोहरत के साथ शहर में उसे देखने वालों की संख्या में भी इजाफा हो रहा था. इसकी खबरें नादिर शाह तक बराबर पहुंच रही थीं और इतिहास में एक बड़ी घटना दर्ज होने वाली थी और सबकुछ बदलने वाला था.
जुलाई की वो शाम और नादिर शाह की एंट्री
नादिर शाह का ताल्लुक किसी नवाबी या शाही परिवार से नहीं था. वह ईरान साम्राज्य की राजधानी से काफी दूर एक क्षेत्र में जन्मा था. एक दौर ऐसा था जब वो जंगलों से लकड़ियां बीनने का काम करता था. वह अपने दम पर तीन साल की उम्र में दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेना का कमांडर बन गया.
नादिर शाह यानी एक लंबा हट्टा-कट्टा इंसान. काली आंखों वाला सुंदर शासक जो अपनी बेरहमी के लिए कुख्यात था. विरोधियों को छोड़ता नहीं था और जी-हुजूरी करने वालों के लिए बड़ा दिल रखता था. 1738 की जुलाई का वो एक दिन था, जब वो खैबर दर्रे को पार करके हिन्दुस्तान पहुंचा. पर दिल्ली अभी दूर थी. उसे इस बात की भली-भांति जानकारी थी कि दिल्ली पूरी तरह जश्न में डूबी है. वहां की बाजारों में चीन से आए खूबसूरत सामान और सोने का पानी चढ़े शीशे वाले हुक्के सजे हैं, जिसे देखने के बाद खुद को नियंत्रित करना मुश्किल है. दिल्ली के बाजार में उच्च गुणवत्ता वाली शराब है जिसका स्वाद चखने के बाद तो हाथ रुकते नहीं. नादिर शाह तक पहुंचने वाली जानकारियां उसके मन में लालच पैदा कर रही थीं.
दीवारों पर सोने का पानी चढ़ा था
ज़हीर उद्दीन दिल्ली के रईसों के बारे में बताते हुए लिखते हैं, ज़फर खान रोशन-उद-दौला के पास इतना धन था कि इजिप्ट के फराओ ने भी कभी कल्पना नहीं की होगी. जफर का घर ऐसा था मानों सोने का पहाड़ हो. घर की दीवारों पर सोने का पहाड़ चढ़ाया गया था. छतों पर सुनहरे फूल रखकर उसकी खूबसूरती में चार चांद लगाए गए. फर्श पर रेशमी कालीन बिछे थे. वह रास्ते में जरूरतमंद को धन बांटता चलता था.
इतिहास की सबसे बड़ी लूट
दिल्ली के रईसों की समृद्धि और शोहरत ने नादिर शाह के दिमाग लूट के लिए दबाव पैदा किया. इसके बाद नादिर शाह ने दिल्ली में जो लूट मचाई उसकी खबर-दूर-दूर तक पहुंची. इतिहासकारों का मानना है कि नादिर शाह ने जो लूट मचाई थी उसकी कीमत उस दौर में 70 करोड़ रुपये थे. आज के हिसाब से देखें तो 156 अरब डॉलर है यानी करीब 10 लाख 50 हजार करोड़ रुपये थे.
वो इतिहास की सबसे बड़ी लूट थी.नादिर शाह की लूट सिर्फ खजाने तक सीमित नहीं रही. वह अपने साथ उस दौर की बेहतरीन नृत्यांगनाओं, हकीम, वास्तुकारों और अपने क्षेत्र के कई विशेषज्ञों को भी ले गया.
लूट के बाद बादशाह टूट गया
उस लूट ने मोहम्मद शाह को बुरी तरह तोड़ दिया. यहां तक इतिहास में भी मोहम्मद शाह को मुगल साम्राज्य के पतन का जिम्मेदार बताया गया. वहीं, कुछ इतिहासकारों का कहना है वह इतना बुरा शासक भी नहीं था. उसके दौर में भी कला, संस्कृति, इमारतों का विकास हुआ.इतिहासकारों का कहना है, उस लूट के बाद मोहम्मद शाह अपने कई दुश्मनों को हरा पाने में विफल हो गया. धीरे-धीरे उसके साम्राज्य के साथ प्रशासनिक संस्थानों का पतन होने लगा.
नादिर का हमला हुआ और अंग्रेजों के भाग्य खुल गए
नादिरशाह ने दिल्ली पर आक्रमण किया और कोहराम मचाया. इस बात की खबर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी तक पहुंची. इस घटना के कारण अंग्रेजों को मुगलों की कई कमजोरियां पता चलीं. इतिहासकारों का मानना है कि अंग्रेजों ने इसका भरपूर फायदा उठाया. अगर नादिर शाह ने हमला न किया होता तो ब्रिटिश दौर की शुरुआत और देर से होती या हो सकता है कि होती ही न.
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