11 साल बाद पराग अग्रवाल की ट्विटर से रुखसती, अब किस नए सफर पर आएंगे नजर। भारतीय मूल के पराग अग्रवाल पिछले साल 2021 को ट्विटर का सीईओ बनाया गया था. उन्होंने फाउंडर जैक डॉर्सी की जगह ली थी. सीईओ का पद अग्रवाल को सौंपते समय खुद डॉर्सी ने उनकी तारीफ की थी.।
मगर मस्क ने ट्विटर की कमान संभालते ही पराग को बाहर का रास्ता दिखा दिया और इस तरह पराग एक साल के अंदर-अंदर ही ट्विटर को अलविदा कह गए.
आइए एक नजर डालते हैं पराग के सफर पर और अब उनके सामने आगे क्या रास्ते बचे हैं…
पराग अग्रवाल ने IIT बॉम्बे से पढ़ाई करने के बाद स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से कम्प्यूटर साइंस में पीएचडी की. उसके बाद माइक्रोसॉफ्ट, याहू और ATएंडTलैब्स जैसी कंपनियों में इंटर्नशिप की. पराग ने काम करते हुए 2011 में ट्विटर को जॉइन किया जहां 2018 में चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर बनाया गया. दो साल बाद ही 2021 में उन्हें प्रमोट करते हुए सीधे सीईओ बना दिया गया.
पराग को जब ट्विटर का सीईओ बनाने के फैसले ने काफी सुर्खियां बटोरी थीं. ये पद स्वीकार करते हुए अग्रवाल ने कहा था, जैक डॉर्सी की लीडरशिप में अभी तक हमने जो भी हासिल किया है उसी पर ट्विटर आगे का सफर पूरा करेगा. मैं ये अवसर पाकर बेहद प्रोत्साहित हूं. हम अपने कस्मटर्स और शेयरहोल्डर्स को वैल्यूएबल सर्विस देने में पूरी लगन से काम करेंगे.’ मगर लगता है पराग के सितारे उनकी राय के उलट इत्तेफाक रखते थे.
मस्क, ट्विटर और पराग
पराग सीईओ बने कुछ महीने बीते और फिर आए एलन मस्क. अप्रैल 2022 को फाइलिंग में मालूम पड़ा कि मस्क ट्विटर में 9.2 पर्सेंट हिस्सेदारी खरीदकर मेजॉरिटी शेयरहोल्डर बन गए हैं. अगले ही दिन पराग ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी देते हुए लिखा, हम मस्क को ट्विटर के बोर्ड में शामिल करके बेहद खुश हैं.’ इसके बाद से शुरू हुआ मस्क और पराग में कोल्ड वॉर का दौर.
अभी ट्विटर बोर्ड में मस्क के शामिल होने पर चर्चा चल ही रही थी कि खबर आई कि मस्क ने बोर्ड में शामिल होने से इस्तीफा कर दिया है. कुछ दिन बीते, मस्क ने सीधे ट्विटर को खरीदने का ऑफर पेश कर दिया. फिर कुछ दिन बीते तो खबर आई कि मस्क ने ऑफर को रोक दिया है.
इस बीच मस्क और पराग ने एक दूसरे को कई बार अप्रत्यक्ष रूप से निशाने पर लिया. मस्क का ये कहना था कि जब तक उन्हें ये नहीं बताया जाएगा कि ट्विटर के कुल यूजर्स में कितने फेक अकाउंट हैं वो इस डील पर आगे नहीं बढ़ेंगे. उनका कहना था पराग ये नंबर नहीं बताना चाह रहे हैं. इस हां ना में मामला काफी खिंच गया. मस्क को डील रद्द करने के चक्कर में कोर्ट तक जाना पड़ा.
इन सब चक्कर के बीच मस्क ने 4 अक्टूबर को ट्विटर खरीदने पर हामी भर कर सबको चौंका दिया. ये खबर आते ही ये लगभग -लगभग तय हो गया कि मस्क कंपनी में आते ही बड़े अधिकारियों की छुट्टी करेंगे, और हुआ भी यही. उन्होंने आते ही सबसे पहले कंपनी के सीईओ पराग अग्रवाल को कंपनी से निकाला. मस्क ने इस ताबड़तोड़ फायरिंग के बाद लिखा ‘बर्ड फ्रीड(Bird Freed)’, जिससे उनका इशारा यकीनन पराग को निकालने की तरफ था. उनके अलावा कुछ और सीनियर एग्जिक्यूटिव्स की भी छुट्टी की गई है.
पराग को मिलेंगे 318 करोड़!
एक भारतीय होने के नाते पराग को निकाले जाने की खबर थोड़ी पर्सनल सी लगती है. मगर सुनने में ये खबर जितनी हताशा भरी है उतनी शायद न हो. मीडिया में छपी खबरों की मानें तो पराग को कंपनी छोड़ने पर 38.7 मिलियन डॉलर यानी 318 करोड़ रुपये मिलेंगे.मगर ट्विटर की तरफ से इस बात की कोई पुष्टि नहीं हुई है. इस रकम में अग्रवाल की बेस सैलरी के अलावा इक्विटी अवॉर्ड्स भी शामिल है.
अब आगे क्या
पराग को निकाले जाने का बाद से सोशल मीडिया पर मीम की बहार है. कुछ यूजर्स ने तो मजे लेते हुए कहा कि पराग अब ट्विटर के हेडक्वॉर्टर के सामने अग्रवाल स्वीट्स की दुकान चलाएंगे. उधर शॉर्ट टैंक इंडिया के जज और शॉदीडॉटकॉम के फाउंडर अनुपम मित्तल ने पराग का नाम मेटा के सीईओ के तौर पर सुझा दिया.
दरअसल हुआ ये कि इसी बीच मेटा के नतीजे आए जिसके बाद शेयरों में अच्छी खासी गिरावट आई. उसके शेयर प्राइस का स्क्रीनशॉट लेकर अनुपम ने लिखा लगता है अब मेटा को इंडियन सीईओ की जरूरत है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पराग अग्रवाल इस काम के लिए अवेलबल दिख रहे हैं. मार्क जुकरबर्ग चाहें तो इस बारे में सोच सकते हैं.
अनुपम के ट्वीट करने की देरी भर थी और एक बार फिर सोशल मीडिया चर्चा से भर गया. खैर, ये तो समय ही बताएगा कि जुकरबर्ग क्या वाकई पराग को मेटा का सीईओ बनाने की बात गंभीरता से लेंगे या ये सुझाव बस एक मजाक बनकर ही बीत जाएगा. हम तो बस इंतजार ही कर सकते हैं.
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