MCD Election: क्यों AAP के लिए आसान नहीं MCD की राह, पुराने नतीजे दे रहे टेंशन

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MCD Election: क्यों AAP के लिए आसान नहीं MCD की राह, पुराने नतीजे दे रहे टेंशन। दिल्ली एमसीडी चुनावों की तारीखों के एलान के साथ आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। दिल्ली नगर निगम के लिए चार दिसंबर को चुनाव कराए जाएंगे जबकि 7 दिसंबर को मतगणना होगी। भाजपा बीते 15 वर्षों से एमसीडी पर काबिज है।

इस बार भाजपा के सामने जहां एमसीडी पर अपनी सत्ता को बरकरार रखने की तो दूसरी ओर उसकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी आम आदमी पार्टी के सामने किला फतह करने की चुनौती होगी। पिछले चुनावों के आंकड़ों के लिहाज से देखें तो भाजपा का पलड़ा भारी नजर आता है। प्रस्तुत है पूर्व के आंकड़ों पर आधारित सियासी दलों के दबदबे और उनके सामने की चुनौतियों की पड़ताल करती रिपोर्ट…

क्या कहते हैं चुनावी आंकड़े
यदि साल 2017 के दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो पाते हैं कि कुल 272 सीटों में से 270 सीटों पर वोट डाले गए थे। इनमें से भाजपा को 181, आम आदमी पार्टी को 48, कांग्रेस को 30 जबकि अन्य को 11 सीटों पर कामयाबी मिली थी। वहीं साल 2012 के चुनावों में भाजपा को 138 तो तत्कालीन मुख्य प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस को 77 सीटों पर विजयश्री हासिल हुई थी। इन दोनों चुनावों में भाजपा का दबदबा स्पष्ट रूप से नजर आया था।

पिछली बार भाजपा ने अपनाई थी यह तरकीब
लंबे समय से सत्ता पर काबिज रहने के कारण एंटी इनकंबेंसी का फैक्टर किसी भी दल के लिए एक बड़ी चुनौती होता है। ठीक उसी तरह पिछले एमसीडी चुनाव में भाजपा के सामने भी यह चुनौती थी। हालांकि भाजपा ने इस चुनौती से पार पाने के लिए एक नई रणनीति को आजमाया था जो सफल भी रही। समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा इस बार भी सत्ता विरोधी लहर से पार पाने के लिए इस ट्रिक का इस्तेमाल कर सकती है।

सत्ता विरोधी लहर को इस तरह काटती है भाजपा
साल 2017 के दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनाव में भाजपा को तगड़ी सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ा था। विपक्षी दलों ने भाजपा पार्षदों पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। भाजपा ने इसकी काट के लिए नई रणनीति अपनाते हुए अपने अधिकांश पार्षदों को टिकट नहीं दिया था। पीटीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भाजपा इस बार भी सत्ता विरोधी लहर से पार पाने के लिए 2017 की तरह ही अपने कई पार्षदों का टिकट काट सकती है।

आप का दावा
भाजपा की दिल्ली इकाई ने संकेत दिया है कि वह कम से कम 60 से 70 फीसद वार्ड पर अपने निवर्तमान पार्षदों को टिकट नहीं देगी। भाजपा की यह रणनीति उसके प्रतिद्वंद्वियों को हैरान कर रही है। आम आदमी पार्टी ने सोमवार को दावा किया कि भाजपा इस बार भी अपने अधिकांश मौजूदा पार्षदों को चुनाव मैदान में नहीं उतारेगी।

दमदार उम्मीदवारों पर दांव
देखा गया है कि भाजपा उन्हीं उम्मदवारों पर दांव लगाती है जिनकी जमीनी पकड़ मजबूत हो। इसके लिए पार्टी खूब मंथन करती है। भाजपा इसके लिए सर्वे के आंकड़ों को अध्ययन भी करती है। समाचार एजेंसी पीटीआई भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक आम आदमी पार्टी भी इस फार्मूले को आजमा सकती है। आम आदमी पार्टी के सूत्रों का कहना है कि पार्टी एमसीडी चुनाव में सफलता पाने के मकसद से दमदार उम्मीदवारों की तलाश के लिए सर्वेक्षण भी करा रही है।

AAP के लिए राहत की बात
आम आदमी पार्टी के लिए राहत की बात यह है कि वह दिल्ली की सत्ता पर कब्जा बरकरार रखे हुए है। बीते सात वर्षों से सत्ता में रहने के कारण आम आदमी पार्टी ने जमीन पर अपनी पकड़ मजबूत की है। भाजपा की तरह ही बड़ी संख्या में आम आदमी पार्टी के कैडर तैयार हुए हैं।

दोनों दलों ने झोंकी ताकत
मौजूदा सियासी परिदृश्य पर गौर करें तो पातें हैं कि भाजपा और आम आदमी पार्टी ने इस चुनावों को फतह करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। दोनों ही पार्टियां मतदाताओं तक सीधी पहुंच के लिए तरह तरह के ट्रिक अपना रही हैं। दिल्ली भाजपा ने मतदाताओं तक सीधी पहुंच के लिए 21 कमेटियों का गठन किया है। इन कमेटियों के सदस्यों में वरिष्ठ नेता और पदाधिकारी शामिल होंगे। वहीं आम आदमी पार्टी नए नए वादों के साथ भाजपा को घेर रही है। दोनों दल एकदूसरे पर हमले का कोई मौका नहीं चूक रहे हैं। साथ ही लोगों को लुभाने के लिए तरह तरह की घोषणाएं कर रह हैं।

http://dhunt.in/EKAEl?s=a&uu=0x5f088b84e733753e&ss=pd Source : “Live हिन्दुस्तान”

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