Pakistan Crisis : पाकिस्तान को खाने के लाले! 220 रुपये में प्याज और 532 में सरसों तेल, दूध बिक रहा 149 रुपये लीटर, Video में देखें हालात।पाकिस्तान के आर्थिक हालात (Pakistan Economic condition) बहुत दयनीय होते जा रहे हैं. खाने-पीने की चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं. पाकिस्तान में चल रहे गेहूं संकट के कारण लोग आटे की थैलियों के लिए आपस में लड़ रहे हैं.
मुंहमांगी कीमत देने के बाद भी लोगों को आटा नहीं मिल रहा है. खैबर पख्तूनख्वा, सिंध और बलूचिस्तान में स्थिति ज्यादा खराब है. सरकार द्वारा बांटे जा रहे सस्ते आटे को लेने के लिए मची भगदड़ में अब तक कई लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, सोशल मीडिया में वायरल हो रहे कुछ वीडियो में आटे के लिए लोगों को आपस में झगड़ते और पैसे लेकर आटा बांटने वाले वाहनों के पीछे दौड़ते देखा जा सकता है.गेहूं और आटा ही नहीं, खाने-पीने की अन्य चीजों के दाम भी आसमान पर पहुंच चुके हैं. पाकिस्तान में दूध का भाव (Milk Rate) 149 रुपये लीटर हो चुका है तो सरसों के तेल का भाव 532 रुपये लीटर है. इस तरह प्याज 220 रुपये (Onion Price) किलो मिल रहा है. पाकिस्तान में आटे की 15 किलो की थैली 2,050 रुपये की हो चुकी है. दो हफ्तों में ही इसमें 300 रुपये का इजाफा हो चुका है. बलूचिस्तान के खाद्य मंत्री ज़मरक अचकजई ने कहा है कि संकट और गहरा सकता है क्योंकि कई क्षेत्रों में गेहूं का स्टॉक पूरी तरह से खत्म हो गया है.
पाकिस्तान में हालात कितने खराब है, इसका अंदाजा ट्विटर पर वायरल हो रहे कुछ वीडियो को देखकर आसानी से लगाया जा सकता है. फखर यूसूफजई नाम के ट्विटर यूजर द्वारा शेयर किए गए एक वीडियो में दो व्यक्ति एक आदमी से आटे की थैली छीन रहे हैं. काफी देर की छीना-छपटी में वे कामयाब भी हो जाते हैं.
ट्विटर पर शेयर किए गए एक अन्य वीडियो में सस्ता सरकारी आटा बांटने वाले एक वाहन के पीछे दो व्यक्ति हाथ में पैसे लेकर लटके हुए हैं. कुछ लोग मोपेड पर भी वाहन का पीछा कर रहे हैं और पैसे दिखाकर आटा देने की गुजारिश कर रहे हैं. लेकिन, ट्रक में सवार लोग दो ही व्यक्तियों को आटे की थैलियां देकर दरवाजा बंद कर लेते हैं.
75 लाख टन गेहूं आयात करेगा पाकिस्तान
भुखमरी के कगार पर पहुंचे पाकिस्तान ने रूस से 75 लाख टन गेहूं मंगाने की योजना बनाई है. देश गहरे आर्थिक संकट से गुजर रहा है और पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार भी 21 दिन में खत्म हो जाएगा. महंगाई चरम पर पहुंच गई है और जलवायु परिवर्तन, बाढ़ और ऊर्जा संकट ने दबाव को दोगुना कर दिया है.
Source : “News18”
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