भंग हो चुके हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग में सामने आ रहे एक के बाद एक परीक्षा भर्ती लीक मामलों के उजागर होने ने एक बात तो साफ कर दी है कि यहां दाल में कुछ काला नहीं था बल्कि पूरी की पूरी दाल ही काली थी। आयोग के पूर्व सचिव रहे एचएएस अधिकारी, एक सीनियर असीस्टेंट और दो चपरासियों समेत अब तक 19 आरोपियों पर दर्ज हो चुके विभिन्न मामलों और विजिलेंस रिकार्ड मे दर्ज छह एफआईआर यह बताने के लिए काफी हैं कि लाखों बेरोजगारों की काबिलियत को दरकिनार करके न उन्हें केवल ठगा जाता रहा बल्कि पारदर्शिता के नाम पर सबको गुमराह किया जाता रहा। ताजा घटनाक्रम की बात करें तो शनिवार 29 अप्रैल को पोस्ट कोड 962 के तहत पिछले वर्ष हुई प्रदेश सचिवालय की क्लर्क भर्ती परीक्षा के लीक होने का खुलासा होने के बाद छठी एफआईआर दर्ज की गई। आंकड़े बताते हैं कि 82 पदों के लिए होने वाली इस परीक्षा के लिए एक लाख आठ हजार अभ्यर्थियों ने आवेदन किए थे।
यह सिर्फ एक परीक्षा कोड का आंकड़ा है। 23 दिसंबर, 2022 के बाद से आयोग की जो परतें इन चार महीनों की अवधि में खुली हैं उनमें जेओएआईटी पोस्ट कोड 965, 939, 817, पोस्ट कोड 980 के तहत हुई कला अध्यापक ,पोस्ट कोड 819 के तहत हुई ट्रैफिक इंस्पेक्टर की भर्ती, जूनियर ऑडिटर एवं कम्प्यूटर आपरेटर भर्ती के परीक्षा पत्रों के लीक होने का खुलासा जांच एजेंसी ने किया है। अगर 82 पदों के लिए ही एक लाख से अधिक बेरोजगार अप्लाई करते रहे होंगे तो लगभग एक दर्जन के करीब विभिन्न पोस्ट कोड के तहत हुई। यहां बताना जरूरी है कि सबसे अधिक आवेदन जेओएआईटी की भर्ती के लिए होते रहे हैं जिसके चार पोस्ट कोड की परीक्षाओं में गड़बड़झाला सामने आया है। -एचडीएम
लाखों बेरोजगारों को सदमा
हमीरपुर स्थित हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग के माध्यम से करीब 25 वर्षों में प्रदेश के बेरोजगारों को रोजगार देने का काम किया जा रहा था। भर्तियों में गड़बडिय़ों के जो खुलासे अब हो रहे हैं उनके बाद उन लाखों हिमाचल के युवाओं को जरूर सदमा लग रहा होगा, जिन्हें पहले शायद यह लगता होगा कि वे सही तैयारी के अभाव में बाहर हो गए।
रिजर्व से 120, जनरल से 360 रुपए फीस
पूर्व में चयन आयोग के माध्यम से जो भी भर्तियां की जाती थीं उनमें आवेदन के लिए रिजर्व कैटागिरी को 120 रुपए जबकि जनरल वालों को 360 रुपए फीस आवेदन फीस के रूप में चुकाने पड़ते थे। कुछ वर्ष पूर्व महिलाओं को फीस में छूट दी गई थी। लाखों बेरोजगार अपने आवेदनों के माध्यम से आयोग के खजाने को भरते रहे। कई युवा तो एक साथ दो से तीन पोस्ट कोड के लिए भी एक साथ अप्लाई करते रहते थे जब तक कि वे या तो क्लीयर न कर लें या फिर ओवरऐज न हो जाएं।
टॉप से लेकर बॉटम तक गड़बड़झाला
आयोग को लेकर जांच एजेंसियों की रिपोर्ट ने सरकार को जो रिपोर्ट सौंपी है उसमें बताया गया है कि यहां टॉप से लेकर बॉटम तक हर कोई गड़बड़झाले के इस खेल का हिस्सा रहा है। यही नहीं, मुख्यमंत्री ने भी पिछले दिनों मीडिया से बातचीत में इस बात को स्वीकारा था कि ऊपर से लेकर नीचे तक सबकी इस मामले में संलिप्तता रही है। पिछले दिनों पोस्ट कोड 965 के तहत हुई आयोग के मुख्य कर्ता-धर्ता पूर्व सचिव की गिरफ्तारी ने एक बात तो क्लीयर कर दी है कि यहां बाड़ ही खेती को खा रही थी। इन गड़बड़झालों में आरोपी उमा आजाद की बेटों, भानजी समेत सहित संलिप्तता, पूर्व सचिव की धर्मपत्नी का एग्जाम क्लीयर करना, चपरासी की बेटे और भतीजे समेत संलिप्तता, पड़ोसियों की संलिप्तता के खुलासे अब तक जांच में हो चुके हैं।