जब भी कोई सरकार सत्ता पर आती है तो जनता को लुभाने के लिए बड़े-बड़े वादे करती है। जब से कांग्रेस सरकार हिमाचल में सत्ता पर आई है तब से यह नारा दे रही है कि वह हिमाचल में व्यवस्था परिवर्तन के लिए आए हैं। मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह सुक्खू जी बार-बार अपने वक्तव्य में कहते रहते हैं कि हिमाचल की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और इसको सुधारने की अत्यंत आवश्यकता है, पर धरातल में अभी तक व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर जनता , कर्मचारी और अब तो सरकार के एमएलए भी नाराज दिखाई देना शुरू हो गए हैं।
जैसे कि आज जून महीने का अंतिम दिन था जाहिर है कि महीने के अंतिम दिन बहुत से सरकारी कर्मचारी रिटायर होते हैं। कुछ जो खुद्दार होते हैं और कुछ जिनकी सरकार में चलती नहीं है वह चुपचाप अपनी विदाई समरोह में भाग लेकर अपने घरों के रुख करते हैं , परंतु जिन की सरकार में ऊंची पेंट होती है वह कैसे अपना काम बना लेते हैं वह आज आखिरी दिन महीने के आप देख सकते हैं। आज सीएमओ कांगड़ा विधिवत रिटायर होने थे परंतु रिटायरमेंट के लेटर के साथ-साथ उनके उसी लेटर में रीइंप्लॉयमेंट 6 महीने के लिए दोबारा से सीएमओ पद पर कर दी जाती है। इसी तरह हमीरपुर से एक चीफ प्रोजेक्ट डायरेक्टर भी रिटायर हुए पर उन्हें भी 6 महीने के लिए पुनः नियुक्ति दे दी गई।
सरकार चाहे जो भी हो बीजेपी की या कांग्रेस की सिर्फ लोगों को दिखाने के लिए आते ही वह बड़े बड़े वादे करती है, जैसे कि बीजेपी सरकार जब पिछली बार आई थी तो भी उन्होंने आते ही यह कह दिया था कि किसी को एक्सटेंशन नहीं दी जाएगी जो भी रिटायर होंगे उन्हें रिटायर कर दी जाएगा , परंतु देखते ही देखते ना जाने अनगिनत लोगों को एक्सटेंशन या रीएंप्लॉयमेंट दी गई उसी तरह कांग्रेस सरकार ने भी आते ही बोला कि हम व्यवस्था परिवर्तन के लिए आए हैं राजनीती करने नहीं परन्तु देखने में अभी तक धरातल में ऐसा कुछ दिखाई नहीं दे रहा है।
अगर डॉक्टरों की बात करें तो हिमाचल में आप इतने डॉक्टर निकल रहे हैं कि उनको आप नौकरी के लाले पड़ गए हैं|अगर देखा जाए तो सीएमओ साहब को जितनी तनख्वाह मिलती होगी उतनी तनख्वाह में 5 नए डॉक्टर रखे जा सकते हैं और साथ में जो सीनियरिटी लिस्ट में सबसे ऊपर थे और सीएमओ बनने के सपने देख रहे हैं उनके सपने फिर धराशाई हो गए , पर क्या करें जिसकी चलती है उसकी क्या गलती है |
सरकार को बने हुए 6 महीने से ज्यादा हो चुके हैं मगर र स्वास्थ्य महकमे का स्वास्थ्य कितना सही है आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं की अभी तक स्वास्थ्य डायरेक्टर रेगुलर नहीं बनाये जा सके हैं और ना ही मेडिकल एजुकेशन के डायरेक्टर रेगुलर हैं। दोनों डायरेक्टर के पदों का कार्यभार स्थाई रूप से चलाया जा रहा है|मेडिकल कॉलेज में अध्यापक पर्याप्त मात्रा में नहीं है जिसके कारण अभी तक हिमाचल में जितने भी नए कॉलेज खोले गए हैं उनको नेशनल मेडिकल कमिशन की तरफ से सिर्फ 1 साल के लिए ही अनुमति दी गई है|
वैसे जिसने भी कहा है उस ने सही कहा है जिसकी चलती है उसकी क्या गलती है और सही मायने में सरकारी दामाद क्या होते हैं वह आप इससे अंदाजा लगा सकते हैं|