EWS कोटा पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित, शिक्षा-रोजगार में सवर्णों के आरक्षण को दी गई है चुनौती। सर्वोच्च अदालत में उच्च शिक्षा में आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के लोगों को आरक्षण की संवैधानिक वैधता और वित्तीय स्थितियों को लेकर एक याचिका दायर की गई थी. अदालत ने उच्च शिक्षा में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के आरक्षण की संवैधानिक वैधता और वित्तीय स्थितियों के आधार पर सार्वजनिक रोजगार के मुद्दों से संबंधित मामले में आदेश सुरक्षित रखा है.
सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में दाखिले का मामला
सुप्रीम कोर्ट में एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स में एडमिशन और सरकारी नौकरियों में आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने के प्रावधान करने वाले संविधान के 103वें संशोंधन की वैधता को चुनौती दी गई थी. सर्वोच्च अदालत ने इस चुनौती याचिकाओं पर मंगलवार को अपना फैसला सुरक्षित रखा है.
पीठ ने वकीलों की सुनी दलीलें
भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) उदय उमेश ललित की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस मामले में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता समेत वरिष्ठ वकीलों की दलील सुनने के बाद इस संवैधानिक पहलू पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है. सवाल यह है कि आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के कोटे ने संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन किया है या नहीं? सर्वोच्च अदालत ने करीब साढ़े छह दिन तक सुनवाई की.
कब लागू किया गया था ईडब्ल्यूएस कोटा
बता दें कि आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के सवर्णों को सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण के देने के लिए वर्ष 2019 में संविधान का 103वां संशोधन किया गया था. इसके बाद देश में ईडब्ल्यूएस के कोटे को लागू किया गया था. सरकार की ओर से सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में दाखिले को लेकर आर्थिक रूप से कमजो वर्ग के लोगों के आरक्षण को लागू कर दिए जाने के मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.
सवर्णों को आरक्षण क्यों?
सुप्रीम कोर्ट में सरकार के फैसले को दी गई चुनौती वाली याचिका में इस बात का जिक्र किया गया है कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अति पिछड़ा वर्ग में भी गरीब लोग हैं, तो फिर यह आरक्षण केवल सवर्ण लोगों को ही क्यों दिया जा रहा है. सवर्णों को आरक्षण दिए जाने के बाद 50 फीसदी आरक्षण नियमों का उल्लंघन हो रहा है. http://dhunt.in/Ceu01?s=a&uu=0x5f088b84e733753e&ss=pd Source : “प्रभात खबर”
Read Time:3 Minute, 43 Second
Average Rating