मौलाना शाहबुद्दीन रज़वी ने बागेश्वर धाम के प्रमुख आचार्य धीरेंद्र शास्त्री और उनकी ‘सनातन हिंदू एकता यात्रा’ को लेकर विवादित बयान दिया है। उन्होंने बागेश्वर बाबा की तुलना प्रतिबंधित संगठन पीएफआई (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) से की और सरकार से मांग की कि इस यात्रा पर तुरंत प्रतिबंध लगाया जाए। रज़वी ने इसे “धार्मिक उन्माद फैलाने की कोशिश” बताया।
आचार्य धीरेंद्र शास्त्री का बड़ा ऐलान
इस बीच, आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने 2025 में वृंदावन से दिल्ली तक ‘हिंदू एकता मार्च’ निकालने की घोषणा की है। इस यात्रा का उद्देश्य हिंदू समाज को संगठित करना और सनातन धर्म की रक्षा के लिए एकजुट प्रयास करना है।
यात्रा का पहला चरण पूरा
आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने ‘सनातन हिंदू एकता यात्रा’ के पहले चरण में 160 किलोमीटर की पदयात्रा पूरी की है। यह यात्रा ओरछा के प्रसिद्ध रामराजा दरबार में समाप्त हुई। पदयात्रा के दौरान धीरेंद्र शास्त्री ने हजारों श्रद्धालुओं को संबोधित किया और हिंदू समाज को एकजुट होने का संदेश दिया।
हिंदू समाज में बढ़ता समर्थन
धीरेंद्र शास्त्री की इस यात्रा को व्यापक जनसमर्थन मिल रहा है। हजारों की संख्या में लोग यात्रा में शामिल हो रहे हैं, और कई स्थानों पर उनका भव्य स्वागत किया गया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा, “सनातन धर्म पर हो रहे हमलों का जवाब देने का समय आ गया है। हिंदू समाज को एकजुट होना होगा।”
बढ़ता राजनीतिक और सामाजिक तनाव
मौलाना रज़वी के बयान और आचार्य धीरेंद्र शास्त्री की यात्राओं के बीच धार्मिक और सामाजिक तनाव बढ़ता दिखाई दे रहा है। जहां एक ओर सनातन धर्म के समर्थक इसे अपने धर्म और संस्कृति की रक्षा का प्रयास मान रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग इसे धार्मिक ध्रुवीकरण का प्रयास बता रहे हैं।
आगे का रास्ता
2025 में होने वाले हिंदू एकता मार्च पर सभी की निगाहें टिकी हैं। आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने इसे एक ऐतिहासिक अभियान बनाने का आह्वान किया है। दूसरी ओर, इस मुद्दे पर बढ़ती बयानबाजी से देश में धार्मिक और सामाजिक संतुलन पर क्या असर पड़ेगा, यह देखने वाली बात होगी।