भारत के बेंचमार्क इक्विटी इंडेक्स, निफ्टी 50 ने अपने इतिहास की सबसे लंबी दैनिक गिरावट दर्ज की है। 1996 में लॉन्च होने के बाद से यह पहली बार हुआ है कि निफ्टी लगातार 10 सत्रों तक गिरावट में रहा, जिससे यह अपने सितंबर 2024 के शिखर 26,277 से लगभग 16% नीचे आ गया है।
गिरावट के प्रमुख कारण
1. विदेशी निवेशकों द्वारा बिकवाली (FII आउटफ्लो)
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने 2025 में अब तक 14 बिलियन डॉलर से अधिक की निकासी की है।
- अमेरिकी टैरिफ नीतियों और डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी ने विदेशी निवेशकों को भारत से धन निकालने के लिए मजबूर किया है।
2. वैश्विक व्यापार तनाव
- अमेरिका द्वारा चीन, कनाडा और मैक्सिको पर भारी शुल्क लगाए जाने से व्यापार युद्ध की आशंका बढ़ गई है।
- इससे वैश्विक आर्थिक मंदी, अमेरिकी मुद्रास्फीति में वृद्धि और उभरते बाजारों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
3. घरेलू आर्थिक चुनौतियाँ
- कमजोर कॉर्पोरेट आय और उच्च मुद्रास्फीति ने बाजार की धारणा को कमजोर कर दिया है।
- ऊँची महंगाई और स्थिर आय के कारण घरेलू अर्थव्यवस्था और कंपनियों की लाभप्रदता प्रभावित हुई है।
इतिहास में ऐसी गिरावट पहले भी आई है
- 1996 में निफ्टी ने लगातार पाँच महीने तक गिरावट देखी थी।
- सितंबर 1994 से अप्रैल 1995 के बीच 8 महीनों में 31.4% की गिरावट आई थी।
- हालांकि, इस बार गिरावट अपेक्षाकृत कम है, क्योंकि अब तक निफ्टी 15.8% गिर चुका है।
आगे का बाजार परिदृश्य
- कई विश्लेषकों का मानना है कि बाजार अब ओवरसोल्ड ज़ोन में पहुँच रहा है, जिससे आगे सुधार की संभावना है।
- निफ्टी का प्राइस-टू-अर्निंग्स (P/E) अनुपात 20 से नीचे आ गया है, जो ऐतिहासिक रूप से एक आकर्षक स्तर माना जाता है।
- इन्फ्रास्ट्रक्चर, होटल और फार्मा जैसे सेक्टरों में रिकवरी की संभावना जताई जा रही है।
क्या बाजार में सुधार होगा?
- मार्च का महीना आमतौर पर भारतीय शेयर बाजार के लिए अच्छा साबित हुआ है, क्योंकि 2009 के बाद से इस महीने में निफ्टी ने औसतन 1.7% की बढ़त दर्ज की है (2023 को छोड़कर)।
- हालांकि, निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह दी जाती है, क्योंकि वैश्विक आर्थिक स्थितियाँ और घरेलू नीतियाँ बाजार को प्रभावित कर सकती हैं।
अस्वीकरण (Disclaimer):
यह लेख केवल सूचना के उद्देश्य से है और इसे वित्तीय सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श लें।