ग्लोबल माइनॉरिटी रिपोर्ट में भारत की तारीफ, अल्पसंख्यकों के लिए बताया गया बेहतरीन देश। शोध संगठन सेंटर फॉर पॉलिसी एनालिसिस ने कई देशों में उनके संबंधी धार्मिक अल्पसंख्यकों को लेकर एक रिपोर्ट तैयार की है. इसमें धार्मिक अल्पसंख्यकों के समावेश और व्यवहार के मामले में तमाम देशों की सूची में भारत को सबसे ऊपर रखा गया है.
भारत की अल्पसंख्यक नीति को लेकर यह रिपोर्ट कहती है कि यह मॉडल विविधता को बढ़ावा देने पर केंद्रित है. रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भारत के संविधान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के सांस्कृतिक और शैक्षिक प्रचार के लिए विशेष प्रावधान हैं. दुनिया के किसी अन्य संविधान में धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों के प्रचार के लिए ऐसा विशेष प्रावधान नहीं हैं.’
शोध संगठन की रिपोर्ट में कहा गया है कि कई अन्य देशों के विपरीत भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां किसी भी धर्म के किसी भी संप्रदाय पर कोई प्रतिबंध नहीं है. इसमें कहा गया है कि भारत की अल्पसंख्यक नीति को उसके समावेशी चरित्र और विभिन्न धर्मों और उनके संप्रदायों के संबंध में गैर-भेदभावपूर्ण प्रकृति के कारण संयुक्त राष्ट्र द्वारा अन्य देशों के लिए एक मॉडल के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. हालांकि, बहुत बार, इसके वांछित परिणाम नहीं होते हैं. बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदायों के बीच, विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय के बीच विभिन्न मुद्दों पर संघर्ष की कई रिपोर्टें आती हैं.
विभिन्न देशों में अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव की स्थिति
यह भारत की अल्पसंख्यक नीति की समीक्षा की मांग करता है. यदि भारत, देश में संघर्षपूर्ण स्थितियों से बचना चाहता है तो भारत को अपनी अल्पसंख्यक नीति को युक्तिसंगत बनाने की आवश्यकता है. सेंटर फॉर पॉलिसी एनालिसिस द्वारा तैयार की गई वैश्विक अल्पसंख्यक रिपोर्ट भी विभिन्न देशों में अल्पसंख्यकों के खिलाफ धर्म-उन्मुख भेदभाव की स्थिति के बारे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को संवेदनशील बनाने के लिए है. यह रिपोर्ट उन चिंताओं को भी दर्शाती है जिनका विभिन्न धार्मिक समुदायों और संप्रदायों को विभिन्न देशों में सामना करना पड़ता है.
अफ्रीकी-एशियाई देशों के एक संगठन द्वारा पहली रिपोर्ट
शोध संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष, दुर्गा नंद झा कहते हैं कि इस रिपोर्ट का महत्व पहली अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट होने में निहित है जो देशों को उनके संबंधित धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति उनके दृष्टिकोण के आधार पर ग्रेड देता है. इसके अलावा, यह गैर-पश्चिमी और अफ्रीकी-एशियाई देशों के एक संगठन द्वारा पहली रिपोर्ट है जिसमें कुछ मानकों पर विभिन्न देशों का अनुक्रमण किया गया है. यह सभी धर्मवादियों के हित में है क्योंकि सभी देशों में किसी भी धर्मवादी का बहुमत नहीं है. यदि किसी धर्म के अनुयायी कुछ देशों में बहुसंख्यक हैं, तो वे कुछ देशों में अल्पमत में हैं.
Source : “News18”
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