मोदी सरकार से सबसे ज्यादा नाराजगी किन मुद्दों पर है? लोगों ने सर्वे में बताया । नरेंद्र मोदी बतौर देश के प्रधानमंत्री अपने कार्यकाल के 9वें साल में हैं. इंडिया टुडे-सीवोटर मूड ऑफ द नेशन सर्वे में पीएम मोदी की लोकप्रियता नये मुकाम पर पहुंच गई है. प्रधानमंत्री के तौर पर उनके प्रदर्शन को सर्वे के 72 फीसदी लोगों ने उत्कृष्ट से अच्छे के बीच रखा है.
मोदी सरकार के कामकाज से लोग कितने खुश हैं? लोगों की नज़र में मोदी सरकारी सबसे बड़ी उपलब्धि क्या रही और किन मोर्चों पर मोदी सरकार खरी नहीं उतरी? इन सवालों का जवाब सर्वे में शामिल लोगों ने दिया है.
मोदी सरकार के काम से कितने लोग खुश?
सर्वे में शामिल लोगों ज्यादातर लोगों ने पीएम मोदी के नेतृत्व वाली NDA (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) की परफॉर्मेंस पर संतुष्टि जाहिर की है. 67 प्रतिशत लोगों ने मोदी सरकार के कामकाज को बहुत अच्छा और 11 प्रतिशत लोगों ने अच्छा बताया. जबकि 18 प्रतिशत लोगों ने खराब बताया है.
NDA सरकार को लेकर लोगों की संतुष्टि का स्तर जनवरी 2022 के 58.7 प्रतिशत की तुलना में इस बार 67.1 प्रतिशत रहा है. इसमें 9 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. यह स्थिति उन ‘तमाम संकटों’ के बावजूद है जिनका सरकार को सामना करना पड़ रहा है. इसमें सबसे अहम आर्थिक मोर्चे पर सामने आई चुनौतियां हैं.
किस मोर्चे पर असफल रही मोदी सरकार?
अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर मोदी सरकार के प्रदर्शन पर सर्वे में शामिल लोगों ने नाखुशी जाहिर की. यह पूछे जाने पर कि उनकी नज़र में NDA-2 सरकार की सबसे बड़ी विफलताएं क्या हैं. लगभग 55 फीसदी लोगों ने महंगाई, बेरोजगारी, धीमी आर्थिक वृद्धि और नोटबंदी जैसे कई आर्थिक मुद्दे गिनाए.
25 फीसदी लोगों ने महंगाई और 17 फीसदी लोगों ने बेरोजगारी को मोदी सरकार की बड़ी असफलता बताया. वहीं 8 फीसदी लोगों ने कोविड के कारण बने हालात को सरकार की नाकामी माना.
यह सर्वे C-Voter ने करवाया है. 15 दिसंबर से 15 जनवरी के बीच कराए गए इस सर्वे में करीब 36 हजार लोगों से उनकी राय ली गई. वहीं C-Voter के रेगुलर ट्रैकर डेटा से भी एक लाख 5 हजार लोगों के सैंपल का विश्लेषण किया गया. इस तरह इस सर्वे में करीब एक लाख 40 हजार लोगों की राय शामिल है.
मोदी सरकार की उपलब्धि
सर्वे में कोविड-19 से कारगर ढंग से निपटना मोदी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि बताई गई. 20 फीसदी लोग मानते हैं कि सरकार ने कोविड-19 को सही तरीके से हैंडल किया है. वहीं 14 फीसदी लोगों ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 हटाना और 12 फीसद लोगों ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को सरकार की बड़ी उपलब्धि माना है. सर्वे में शामिल लोगों ने यह भी स्वीकारा कि सरकार ने कल्याणकारी योजनाओं, अपेक्षाकृत भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देने और बुनियादी ढांचे के विकास के मामले में भी अच्छा काम किया है.
जब पूछा गया कि अर्थव्यवस्था को किसने- मनमोहन सिंह की UPA सरकार ने या मोदी सरकार में से किसने बेहतर ढंग से संभाला, तो सर्वे के करीब 51 फीसदी लोगों ने पीएम मोदी का नाम लिया. केवल 36.2 फीसदी ने मनमोहन सिंह के पक्ष में वोट दिया.
रोजगार पर लोगों की राय
मोदी सरकार के लिए बेहद परेशानी पैदा करने वाले क्षेत्रों में देश में रोजगार की स्थिति भी है. तकरीब एक करोड़ 20 लाख लोग हर साल वर्कफोर्स में शामिल होते हैं, पर उनके लिए पर्याप्त नौकरियां नहीं हैं. सर्वे में 53.6 फीसदी लोगों ने कहा कि बेरोजगारी की स्थिति “बहुत गंभीर” है. अन्य 18.7 फीसदी को लगता है कि बेरोजगारी की स्थिति “कुछ गंभीर” है. दोनों को जोड़ लें तो लगभग 72 फीसद लोग बेरोजगारी की स्थिति को भयावह मानते हैं.
सर्वे में 34.4 फीसदी लोग मानते हैं कि मोदी सरकार कई नौकरियों ला पाई है. 29.7 फीसदी का मानना है कि सरकार ने कुछ ही नौकरियों का सृजन किया. वहीं 28.2 फीसदी मानते हैं कि सरकार ने रोजगार के अवसरों का बिल्कुल सृजन नहीं किया.
क्या लोगों की आर्थिक स्थिति सुधरी है?
सर्वे में शामिल ज्यादातर लोगों का कहना है कि 2014 में मोदी के सत्ता में आने के बाद से उनकी आर्थिक स्थिति या तो वैसी ही बनी है या फिर बिगड़ी ही है. वहीं 35.2 फीसदी लोगों का कहना है कि NDA के शासनकाल में उनकी आर्थिक हैसियत बिगड़ी है, जबकि 33.3 फीसदी मानते हैं कि इसमें सुधार आया है. करीब 60 फीसदी लोगों ने कहा कि सरकार ‘अच्छे दिन’ लाने के अपने वादे पर खरी नहीं उतरी है, जिसका वादा मोदी ने पहली बार सत्ता में आने के दौरान किया था.
Source : “The Lallantop हिंदी”
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