भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के पास स्पेस से कैप्चर की गई अपने ग्रह (पृथ्वी) की अद्भुत तस्वीरें मौजूद हैं। जिसमें भारत के हिस्से के भूभाग की छवि देखते ही बनती है। ये तस्वीरे इसरो के अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट (EOS-06) ने भेजी है।
इसे ओशनसैट-3 (Oceansat-3) के नाम से भी जाना जाता है। अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट ने तस्वीरें ऑनबोर्ड ओशन कलर मॉनिटर का प्रयोग करके भेजी हैं। ओशनसैट-3 से डेटा से हैदराबाद में इसरो के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) ने मोजेक (Mosaic) तैयार किए हैं।
मिशन
इसरो के EOS-06 मिशन को 2022 में श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से PSLV-C54 मिशन पर लॉन्च किया गया था। ओशनसैट-3 ने दिसंबर 2022 में साइक्लोन मैंडस पर कब्जा कर लिया औरदक्षिण अटलांटिक महासागर में OCM ऑनबोर्ड EOS-06 ने अर्जेंटीना के तट पर शैवाल (Coccolithophore) की पहचान की थी। पहला ओशनसैट 1999 में पृथ्वी से लगभग 720 किलोमीटर ऊपर एक ध्रुवीय सूर्य समकालिक कक्षा में प्रक्षेपित किया गया था। ओशनसैट -2 ने 2009 में पीएसएलवी-सी14 मिशन पर उड़ान भरी थी।
अमेरिका में कैप्चर हुई तस्वीर
ओशनसैट ने ताजा तस्वीरें दक्षिण अमेरिका से कैद की हैं। बता दें कि उपग्रहों की ओशनसैट श्रृंखला का उपयोग पृथ्वी के अवलोकन और जल निकायों की निगरानी के लिए किया जाता है। अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट-06 ओशनसैट श्रृंखला में तीसरी पीढ़ी का उपग्रह है।
क्यों अहम है ISRO का ओशनसैट-3
ओशनसैट-3 को तीन प्रमुख उपकरणों ओशन कलर मॉनिटर (OCM-3), सी सरफेस टेम्परेचर मॉनिटर (SSTM), Ku-बैंड स्कैटरोमीटर (SCAT-3) और ARGOS के साथ लॉन्च किया गया। ओशन कलर मॉनिटर पृथ्वी को 13 अलग-अलग तरंग दैर्ध्य में सेंस करता है, जिससे वैश्विक महासागरों के लिए भूमि और महासागर बायोटा पर वैश्विक वनस्पति के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। ये सैटेलाइट कई मायनों में अहम हैं। समुद्र की सतह के तापमान, ऑप्टिकल क्षेत्र में अधिक बैंड के लिए पवन वेक्टर डेटा की कान्टीन्यूटी के क्षेत्र में ये महत्त्वपूर्ण डेटा उपलब्ध कराता है।