केदारनाथ-बद्रीनाथ में भक्तों से ठगी का नया तरीका… ‘यहां QR कोड से दान करें’, मंदिर के बाहर लगे फेक पोस्टर, टेंपल कमेटी ने की ये अपील

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ऊत्तराखंड के बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम में ठगों ने श्रद्धालुओं से ठगी करने का नया तरीका ढूंढ़ निकाला है. इसके लिए उन्होंने बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद मंदिरों में चंदा मांगने के लिए क्यूआर कोड लगा दिए.

जिसको लेकर बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर कमेटी ने रविवार को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. कमेटी की ओर से कहा गया कि श्रद्धालुओं से चंदा मांगने वाले पोस्टर कमेटी की ओर से नहीं लगाए गए.

मंदिर कमेटी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने एक बयान जारी कर कहा कि मंदिरों के पास क्यूआर कोड के माध्यम से दान मांगने वाले बोर्ड उनके द्वारा नहीं लगाए गए थे. उन्होंने कहा कि ये बोर्ड दोनों धामों के कपाट खुलने के दिन लगे थे और समिति के अधिकारियों के संज्ञान में आने के बाद उसी दिन हटा दिए गए थे. इसके साथ ही मंदिर कमेटी की ओर से श्रद्धालुओं से अपील की गई है कि क्यूआर कोड पर स्कैन कर किसी भी तरह का दान न करें.

रविवार को पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई

अजय ने कहा कि मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने पहले अपने स्तर पर मामले की जांच की और उसके बाद रविवार को केदारनाथ पुलिस चौकी और बद्रीनाथ थाने में इस संबंध में शिकायत दर्ज कराकर मामले की जांच की मांग की. मंदिर समिति के अध्यक्ष ने कहा कि अभी तक मंदिर कमेटी द्वारा पेटीएम जैसे आवेदन का उपयोग नहीं किया जा रहा है.

25 अप्रैल को खोले गए केदारनाथ के कपाट

उत्तराखंड में केदारनाथ मंदिर के कपाट 25 अप्रैल की सुबह 6:20 मिनट पर खोल दिए गए थे. इस दौरान हजारों श्रद्धालु मौजूद रहे. केदारधाम हर हर महादेव के जयकारों से गूंज उठा. इस खास मौके पर मंदिर परिसर को 20 क्विंटल फूलों से सजाया गया. इस दौरान मंत्रोच्चारों और आर्मी बैंड की मधुर धुन भी बज रही थी. केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी जगद्गुरु रावल भीम शंकर लिंग शिवाचार्य ने कपाट खोले.

27 अप्रैल को खोले गए बद्रीनाथ के कपाट

केदारनाथ के बाद भगवान बद्रीनाथ धाम के कपाट भी श्रद्धालुओं के लिए खुल गए. हर साल की तरह इस साल भी पहली पूजा और आरती देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से हुई. आईटीबीपी के बैंड के अलावा गढ़वाल स्काउट्स ने भी इस मौके पर प्रस्तुति दी. कपाट खुलने से पहले शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद मंदिर पहुंच गए थे. मंदिर को 15 टन से अधिक फूलों से सजाया गया था.

 

 

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