कितने बदले राहुल, कांग्रेस को क्या मिलेगा? 4 एक्सपर्ट्स ने बताया कितनी कारगर रही भारत जोड़ो यात्रा?

कितने बदले राहुल, कांग्रेस को क्या मिलेगा? 4 एक्सपर्ट्स ने बताया कितनी कारगर रही भारत जोड़ो यात्रा?साल 2014 के लोकसभा चुनाव से ही कांग्रेस पार्टी गहरे संकट के दौर से गुजर रही है. करीब एक दशक से कांग्रेस पार्टी देश में सत्ता की मुख्यधारा से हट चुकी है. ऐसे में साल 2024 के चुनाव से पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी की अगुवाई में हुई भारत जोड़ो यात्रा के मकसद और राजनीतिक लाभ को लेकर बहस शुरू हो गई है.

सवाल हैे कि भारत जोड़ो यात्रासे आगामी चुनावों में कांग्रेस पार्टी को कितना फायदा मिलेगा? इससे राहुल गांधी को कितना फायदा होगा? क्या इससे राहुल की छवि में सुधार होगा? भारत जोड़ो यात्रा देश के जिन-जिन राज्यों में गई है, क्या वहां-वहां कांग्रेस पार्टी को चुनाव में लाभ मिलेगा?

सेलिब्रिटी नहीं, जनता से जीता जाता चुनाव

वरिष्ठ पत्रकार और कई अखबारों के संपादक रहे शंभुनाथ शुक्ल कहते हैं “किसी भी यात्रा में भीड़ कई कारणों से आती है. कई बार लोग किसी को देखने भी चले आते हैं. राहुल की यात्रा में कई सेलिब्रिटी आईं. लेकिन उनकी यात्रा में मिडिल क्लास सीरियस वोटर्स नहीं दिखे.

मुझे 1977 के चुनाव याद आ रहे हैं. इंदिरा गांधी प्रचार के लिए रायबरेली आईं थीं. इस दौरान काफी भीड़ उनको देखने पहुंची थी. तब उनके साथ चलने वाले लोगों ने कहा कि भीड़ तो काफी है, जीत पक्की है. तो इंदिरा गांधी ने कहा कि – देखो, ये भीड़ मुझे देखने आई. तब चुनाव के नतीजे भी खराब आये. सूपड़ा साफ हो गया था पार्टी का.”

शंभुनाथ शुक्ल आगे कहते हैं – “मुझे राहुल की यात्रा कभी समझ में नहीं आई. कभी गाड़ी से उतर कर चलने लगना, कभी फिर गाड़ी में बैठ जाना. इस तरह तो यात्रा नहीं होती. साल 1983 में चंद्रशेखर जी ने पदयात्रा की थी. वह अनवरत यात्रा थी. उन्होंने पूरी यात्रा के दौरान मौसम के अनुकूल पोषाकें पहनीं. जब यात्रा समाप्त हुई तो उन्होंने भी भीड़ को लेकर कहा था-वे लोग सिर्फ मुझे देखने आये थे. इसके बाद बलिया से 1984 का चुनाव वो हार गये थे.

मुझे राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में गंभीर वोटर्स नहीं दिखे. उसका क्या प्रभाव होगा, ये कहा नहीं जा सकता. अगर असर दिखता तो तेलंगाना उपचुनाव पर इस यात्रा का असर जरूर दिखता. उनकी यात्रा में सेलिब्रिटी और एनजीओ के लोग आये लेकिन एनजीओ से चुनाव नहीं जीता जा सकता है. जमीन पर उतरना होता है.”

2024 की तैयारी में मदद मिलेगी

TV9 Digital के एग्जीक्यूटिव एडिटर कार्तिकेय शर्मा का कहना है “मुझे लगता है राहुल गांधी ने तय कर लिया है कि हिंदुत्व का जवाब सॉफ्ट हिंदुत्व नहीं हो सकता. या फिर हिंदुत्व का जवाब वो नहीं हो सकता जो समाजवादी पार्टी या आरजेडी यूपी और बिहार में कर रही है. जहां रामचरित मानस के पन्ने फाड़े जा रहे हैं या उसे महिला विरोधी बताया जा रहा है.

मुझे लगता है राहुल गांधी ने यहां हिंदुत्व का जवाब संवैधानिक सेक्युलर पॉलिटिक्स से देने का मन बनाया है. लेकिन अहम बात ये है कि सिर्फ सेक्यूलर कहना काफी नहीं होगा. कम्यूनल इश्यू पर एक लाइन लेनी होगी. सांप्रदायिकता के खिलाफ बोलने का ये मतलब नहीं कि आप हिंदुत्व के खिलाफ बोल रहे हैं. इस लिहाज से उनकी दूसरी कड़ी परीक्षा होगी.”

कार्तिकेय शर्मा आगे कहते हैं – “राहुल गांधी की यात्रा में उनके नये दोस्त नहीं जुड़े. गुजरात में वोट शेयर घट गया. कांग्रेस पार्टी की ये मूलभूूत चिंता है लेकिन कांग्रेस पार्टी का मतलब क्या है, राहुल गांधी किस तरह की राजनीति करते हैं, ये सब इस यात्रा के जरिये साफ हो गया.अब चुनाव में इसका कोई लाभ मिलेगा, इसके बारे में अभी नहीं कहा जा सकता. ये बाद की बात है.

ये कुछ उसी तरह है, जैसे 80 के दशक में जब वाजपेयी जी की जिद पर बीजेपी के घोषणापत्र में गांधीवाद और समाजवाद को जोड़ा गया था, लेकिन बाद में उस पर विवेचना हुई और उसे हटाया गया. जिसके बाद पार्टी ने हिंदुत्व की राजनीति को पकड़ा और उसी पर चलना तय किया. इसी तरह से कांग्रेस को समझ आ गया कि हिंदुत्व उनकी विचारधारा नहीं है. उनको स्पष्ट रूप से गैर-सांप्रदायिक राजनीति करनी पड़ेगी.

लेकिन साफ कर दूं कि इस यात्रा से अगर आपको ये लगता है कि कांग्रेस दिल्ली की गद्दी पर बैठ सकती है, तो बिल्कुल गलत हैं. हां, अगर ये कहें कि इससे 2024 चुनाव के लिए कांग्रेस तैयार हो सकती है, तो आप सही हैं. सवाल है क्या इस यात्रा से राहुल गांधी प्रधानमंत्री बन जाएंगे? जवाब है-नहीं. क्या इस यात्रा से राहुल में एक उम्मीद की किरण दिखती है? जवाब है-हां. क्या इस यात्रा से कांग्रेस पार्टी को अमृत मिलेगा? जवाब है-नहीं. क्या इस यात्रा से कांग्रेस पार्टी को बल मिलेगा? जवाब है-हां.”

2023 के नतीजे ही बतायेंगे

TV9 Digital के एग्जीक्यूटिव एडिटर पंकज कुमार कहते हेैं- “चुनाव के नतीजे ही बताएंगे कि इस यात्रा से क्या मिला? लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि 14 राज्यों में यात्रा के बाद सबसे बड़ी बात ये हुई है कि राहुल गांधी ने अपनी छवि बदलने में कामयाबी पाई है. राहुल में लोग अब गंभीर छवि देख रहे हैं. दूसरी बात ये कि कांग्रेस पार्टी नेतृत्व संकट से गुजर रही थी. सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी होने के बावजूद विपक्षी दलों को एकजुट करने की क्षमता पार्टी में थी या नहीं, यह एक बड़ा सवाल था. लेकिन अब कांग्रेस ने एक नेता को स्थापित कर लिया. अब भविष्य में कांग्रेस पार्टी विपक्षी दलों से कह सकेगी कि उसकी पार्टी नेतृत्वविहीन नहीं है.

इसमें कोई दो राय नहीं कि राहुल गांधी ने कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व संकट को दूर करने में कामयाबी पाई है. इसके अलावा किसी पार्टी के भीतर उसके नेता का कैसा आदर होना चाहिये, उसे राहुल गांधी ने इस यात्रा के जरिये हासिल किया.”

पंकज कुमार आगे कहते हैं – “कांग्रेस अब तक जिन मूल्यों को लेकर राजनीति करती रही है, राहुल गांधी ने अपनी यात्रा के जरिये उन मूल्यों को उठाया है. राहुल गांधी ने उन मूल्यों और आदर्शों को फिर से जीवित करने का प्रयास किया. क्योंकि बीच में कई बार राहुल गांधी ने कभी खुद को शिव भक्त तो कभी ब्राह्मण साबित करने का प्रयास था जो एक तरह का भटकाव था. लेकिन अब इस यात्रा के जरिये राहुल गांधी ने कांग्रेस को पहले वाले आदर्शों पर वापस लाने की कोशिश की है.

हालांकि भारत जोड़ो यात्रा का राजनीतिक लाभ कितना मिलेगा, ये इस साल होने वाले 9 राज्यों के चुनाव के बाद पता चलेगा. इन चुनावों से साफ हो जायेगा कि राहुल गांधी ने आम जनता का कितना विश्वास जीता.”

क्षेत्रीय दलों का सम्मान हासिल करना होगा

TV9 Digital के पॉलिटिकल एडिटर ब्रजेश पांडेय कहते हैं-“राहुल गांधी की यात्रा का सबसे बड़ा फायदा राहुल गांधी की छवि को होगा. अब तक किये गये राहुल गांधी के सभी प्लान में ये सबसे सफल प्लान है. वो बहुत ही गंभीर नेता के तौर पर उभरे हैं. उन्होंने देशव्यापी यात्रा की, इससे उनकी निजी छवि गंभीर होकर उभरी है. हालांकि इस छवि और मेहनत का चुनाव पर कितना असर होगा, ये अभी नहीं कहा जा सकता है.

साल 2023 कांग्रेस पार्टी के लिए बेहद अहम होगा. कांग्रेस पार्टी ने नौ राज्यों के चुुनाव में अगर कुछ राज्यों में जीत हासिल नहीं की तो पार्टी गंभीर संकट में आ सकती है. कांग्रेस को राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अपनी सरकार को बचाना है. साथ ही मध्य प्रदेश और कर्नाटक में जीत हासिल नहीं की तो कांग्रेस अपने सबसे बुरे दौर में चली जायेगी.”

ब्रजेश पांडेय आगे कहते हैं – “मुझे लगता है चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी को अभी बहुत मेहनत करनी होगी. अगर 2024 में कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी की लीडरशीप पोजीशन चाहते हैें कि उसके पहले कांग्रेस पार्टी को क्षेत्रीय दलों का सम्मान पाना होगा. और इस सम्मान को पाने के लिए जरूरी है कि 2023 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी कम से कम दो, तीन राज्यों में चुनाव जीते. वरना भारत जोड़ो यात्रा का राहुल गांधी को तो निजी लाभ मिल जायेगा, पार्टी को कोई फायदा नहीं होगा.”

By TV9 Bharatvarsh

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