आत्मनिर्भरता से आत्मगौरव की कहानी लिखतीं कांगड़ा की महिलाएं

स्वावलंबन की राह पकड़ लखपति बनीं मेघा देवी और संजू कुमारी

8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर सरकार, विभिन्न संस्थाएं और संगठनों द्वारा समाज निर्माण में महिलाओं के योगदान और उनके समर्पित प्रयासों से प्रेरणा लेने के लिए प्रदेशभर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। हमारे जीवन में महिलाओं के योगदान और उनकी महत्ता न मापी जा सकती है और न ही उसे किसी प्रकार व्यक्त किया जा सकता है। महिला को परिवार के साथ-साथ समाज का केंद्र कहने में भी कोई अतिशयोक्ति नहीं है। हमारे देश और संस्कृति में शायद ही ऐसा कोई पारिवारिक, धार्मिक या सामाजिक कार्य हो जो महिलाओं के बिना पूर्ण होता हो।
हमारे जीवन में हर दिन प्रतिपल महिलाओं के योगदान के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिए ऐसे कार्यक्रमों और दिवसों का आयोजन किया जाता है। इस बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का राज्य स्तरीय कार्यक्रम जिला कांगड़ा में प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू की उपस्थिति में हो रहा है। 8 मार्च को मुख्यमंत्री प्रदेश के विकास में महिलाओं के योगदान को स्मरण करते हुए प्रदेश में प्रेरक काय करने वाली महिलाओं को सम्मानित करेंगे। ऐसे में बात करते हैं जिला कांगड़ा की ऐसी महिलाओं की जिन्होंने अपनी मेहनत से आत्मनिर्भरता का जीवन जीते हुए बाकि महिलाओं को स्वावलंबी बनने की प्रेरणा दी है।
ग्रामीण परिवेश के अति साधारण परिवार से आकर अपने परिवार का भाग्य बदलने वाली सुलह की मेघा देवी सबके लिए मिसाल बनकर उभरी हैं। पति की सीमित आय होने के चलते एक समय बच्चों की पढ़ाई और परिवार खर्च निकालना भी कठिन हो गया था। परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए मेघा देवी सुलह में श्री गणेश स्वयं सहायता समूह से जुड़ी। वे बताती हैं कि स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद सरकार की योजनाओं के सही उपयोग से उनके जीवन में महत्वपूर्ण मोड़ आया।
मेघा देवी ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत डूना पत्तल (पत्तल, डोना बनाने का काम) के निर्माण का प्रशिक्षण प्राप्त किया। डूना पत्तल बनाने का व्यवसाय एक पारंपरिक व्यवसाय होने के चलते बाजार में इसकी बहुत मांग है। वे बताती हैं कि स्वयं सहायता समूह और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर उन्होंने यह व्यवसाय शुरू किया। बकौल मेघा देवी, आज वे इस व्यवसाय से 15 से 20 हजार रूपये प्रतिमाह कमाती हैं और उनका व्यवसाय सुलह के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी प्रसिद्ध हो गया है। एक समय परिवार की जरूरतों के लिए संघर्ष करती मेघा देवी आज अपनी मेहनत और सही मार्गदर्शन से लखपति बन चुकि हैं।
ऐसी ही कहानी है रैत ब्लॉक के मरकोटी गांव की संजू कुमारी की, जिन्होंने अपनी मेहनत और समर्पण से अपने जीवन को बदल दिया। किसी समय आय का कोई स्थिर स्रोत न होने वाला परिवार आज संजू कुमारी की बदौलत प्रतिमाह 20 हजार रूपये के करीब कमा रहा हैं। अपने परिश्रम से आज लखपति बन चुकीं संजू कुमारी बताती हैं कि शिव शक्ति स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद उन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत बांस के उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया। बांस के उत्पाद बनाने वाली संजू कुमारी आज ने आज हस्तशिल्प में ऐसी निपुणता हासिल की है कि उनके उत्पादों की मांग स्थानीय बाजारों में दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। वे अब बिना चिंता के अपने परिवार और बच्चों की शिक्षा का खर्च उठा रही हैं।
सामूहिक रूप से सशक्त हो रही महिलाएं: डीसी
उपायुक्त हेमराज बैरवा बताते हैं कि जिला कांगड़ा में 8 हजार से अधिक स्वयं सहायता समूह स्थापित हैं। इन समूहों में हजारों महिलाएं सामुहिक रूप से अपने छोटे-छोटे व्यवसाय चला रही हैं। जिनमें सिलाई, बुनाई, कृषि उत्पादों का प्रसंस्करण, पशुपालन, हस्तशिल्प जैसी गतिविधियां शामिल हैं। वे बताते हैं कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत महिलाओं को रिवॉल्विंग फंड, स्टार्टअप फंड के अलावा सरकार द्वारा प्रशिक्षण भी दिया जाता है। इससे महिलाएं न केवल आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं, बल्कि सामूहिक रूप से निर्णय लेने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं, जो उनके सामाजिक और सामूहिक सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

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